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7 जनवरी 2013 को आयुष ग्राम (ट्रस्ट) का पंजीकरण हुआ। यह ट्रस्ट आयुष ग्राम चिकित्सालय, आयुष ग्राम कार्डियोलॉजी, आयुष ग्राम गुरुकुलम्, धन्वंतरि गोसेवालय, धन्वंतरि जैविक एवं गो आधारित प्राकृतिक कृषि एवं उद्यानिकी सेवा आदि सेवा प्रकल्पों के माध्यम से बिना किसी सरकारी/गैर सरकारी सहायता के सेवा करने लगा फिर तो पनगरा (बांदा) में चल रहे सभी प्रकल्प आयुष ग्राम (ट्रस्ट) में विलय कर दिए गए।
आयुष ग्राम चिकित्सालय में किडनी फेल्योर, हार्ट, लिवर, रीढ़ कमर दर्द, डिस्क प्रॉब्लम, घुटनों का दर्द, बवासीर, ब्लडप्रेशर, शिरो रोग, चर्म रोग (सोरायसिस/एक्जिमा/सफेद दाग आदि), दमा, साइनस, माइग्रेन, थायराइड, घबराहट, अनिद्रा, अल्सर, पीसीओडी, महिलाओं के रोग, पेट के रोग, मोटापा, बच्चों का चश्मा लगना, प्रथमावस्था का कैंसर, भगन्दर, स्मरणशक्ति की कमी, मधुमेह(शुगर), बच्चों का बार-बार बीमार होना, बच्चों का बार-बार का न्यूमोनिया, बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी, प्रोस्टेट, पुराना बुखार, वृद्धावस्था के रोग आदि रोगों की चिकित्सा की जाती है।
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय चित्रकूट पूरी तरह से आयुष पद्धति का चिकित्सालय है जहाँ अंग्रेजी दवाओं का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं होता। यहाँ डॉक्टरों की टीम, प्रशिक्षित फार्मेसिस्ट और नर्सेज सेवायें दे रहे हैं। पीड़ित लोगों को अनावश्यक ऑपरेशन से बचाना भी आयुष ग्राम का एक लक्ष्य है।
आयुष ग्राम चिकित्सालय में महर्षि चरक की दैवयुक्तिव्यपाश्रय, युक्तिव्यपाश्रय, सत्वावजय चिकित्सा का प्रयोग तो वहीं चरक के रसायन अध्याय में वर्णित विधान(method) से रोगी नवजीवन पाता है।
पंचकर्म आयुर्वेद विज्ञान की वह विधि है जिसमें रोगी के शरीर में बढ़े हुये दोषों को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है जिससे रोग का पूर्णनाश हो जाता है तथा रोगी के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी अधिक आ जाती है कि वह पुनः रोगग्रस्त नहीं होता।
पंचकर्म से आंतरिक ऊर्जा का विकास होता है, महत्वपूर्ण अंग लिवर, हार्ट, किडनी, फेफड़े आदि कार्यक्षम होते हैं जिससे आन्तरिक शक्ति (Body Resistance) बढ़ती है। पंचकर्म से शरीर शोधन के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से व्याधिक्षमत्व (Immunity) में बढ़ोत्तरी होती है।
आयुष ग्राम चिकित्सालय में प्रशिक्षित पंचकर्म थैरेपिस्ट द्वारा संपूर्ण पंचकर्म थैरेपी की व्यवस्था है।
आपने सही सुना है। आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय में ऐसे-ऐसे रसों, भस्मों, कल्पों का संग्रह है जो मरते हुये व्यक्ति का भी प्राण रक्षण करते हैं, उनका जीवन बढ़ाते हैं।
बिल्कुल सही, यहाँ बच्चों की इतनी उत्तम चिकित्सा है कि जो बच्चे बार-बार बीमार होते हैं, न्यूमोनिया, दौरा, झटका से पीड़ित हैं, बार-बार अस्पताल ले जाये जाते हैं, मानसिक शारीरिक रूप से अविकसित हैं, शिर में पानी भर जाता है, उनकी यहाँ पर बहुत अच्छी चिकित्सा है। इसलिए बीमार बच्चों को तो आयुष ग्राम ट्रस्ट चिकित्सालय, चित्रकूट में अवश्य एक बार लाना चाहिए। क्योंकि आयुष चिकित्सा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
आयुष ग्राम ट्रस्ट द्वारा सेवा कार्य किया जा रहा है, अत: रोगी का रजिस्ट्रेशन फीस मात्र 100/- रुपये है। ayushgram.org वेबसाइट के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराने की फीस 150/- रुपये का ऑनलाइन रोगी रजिस्ट्रेशन की फीस 250/- रुपये है। यहाँ आगन्तुकों को भरपेट भोजन मात्र 80/- रुपये में दिया जाता है और प्रथम श्रेणी के प्राइवेट वार्ड का चार्ज केवल 980/- रुपये प्रतिदिन है। यहाँ जो दवाइयाँ लिखी जाती हैं निर्धारित मूल्य पर मिलती हैं।
वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने का अर्थ है कि आपने पहले से बुकिंग कराकर अपना नम्बर पूर्व के प्राप्त कर लिया है, जबकि यहाँ आकर रजिस्ट्रेशन कराने पर पूर्व रजिस्ट्रेशन के बाद नम्बर मिलता है। पूर्व रजिस्ट्रेशन बुकिंग का नम्बर जिस दिन की बुकिंग है उसके एक दिन पूर्व शाम 06:00 बजे तक आपको मेल पर प्राप्त हो जायेगा।
आयुष ग्राम (ट्रस्ट)॥ आयुष ग्राम चिकित्सालय द्वारा ऑनलाइन चिकित्सा सेवा की भी सुविधा है। ऑनलाइन चिकित्सा सेवा प्राप्त करने हेतु ट्रस्ट द्वारा रजिस्ट्रेशन फीस मात्र 250/- है। यह रजिस्ट्रेशन 3 माह तक मान्य रहेगा। आप यह धनराशि खाता संख्या 50200047085167 आई.एफ.एस.सी. कोड नम्बर-HDFC0002656 ब्रान्च कर्वी माफी में भेजें और मोबाइल नम्बर- 8948111166 सुबह 10 से 5 तक सूचित करें। आपको सम्बन्धित चिकित्सक का अपॉइंटमेंट दे दिया जाएगा।
यदि आप औषधियाँ भी यहाँ से मँगाना चाहेंगे तो ऑनलाइन उनका मूल्य भुगतान करने पर कोरियर/स्पीड पोस्ट से आपको औषधियाँ भेज दी जायेंगी।
आयुष ग्राम चिकित्सालय भारतीय पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। यह शांत और सुरम्य स्थान में अवस्थित है। आयुष ग्राम चिकित्सालय एक ऐसा अग्रणी संस्थान है जहाँ प्रतिमाह ऐसे-ऐसे किडनी, हार्ट, शिरोरोग, लीवर रोग, जोड़ों, हड्डियों और रीढ़ के रोगों की चिकित्सा आयुष पद्धति से हो रही है जिन्हें आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (एलोपैथी ने डायलेसिस में डाल दिया या डायलेसिस बता दिया) बाईपास सर्जरी कर दिया या बाईपास सर्जरी घोषित कर दिया या स्टेंट डाल दिया, पेसमेकर लगा दिया ऐसे ही अन्य रोगों में ऑपरेशन घोषित कर दिया।
आयुष ग्राम चिकित्सालयः में उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, गुजरात, बिहार, बंगाल, हिमांचल प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, जम्मू काश्मीर के अलावा नेपाल, भूटान तक के रोगी आकर आरोग्य लाभ लेते हैं।
चिकित्सालय का समय प्रात: 9 से 1 और अपरान्ह 2 से 5 तक है। रोगी को वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद चिकित्सालय में आकर पर्चा बनवाना होता है फिर सम्बन्धित रोग का डॉक्टर उसे देखता है। जो रोगी भर्ती और पंचकर्म के लायक होते हैं उन्हें भर्ती भी किया जाता है। रोगियों और उनके परिचारकों के लिये उचित भोजन और रुकने की व्यवस्था संस्था में ही की गयी है।