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डायलेसिस नहीं चाहते तो यह वैदिक चिकित्सा साधन हैं!!

हमारी भटकाव और चिकित्सा के नाम पर परेशान होने का कारण यह भी है कि हम पश्चिमी चिकित्सा पद्धति (एलोपैथी) के अस्पतालों/डॉक्टरों की ही बात मान लेते हैं तथा अपनी समझ का प्रयोग नहीं करते परिणामत: वैदिक चिकित्सा आयुर्वेद की ओर न तो बढ़ते, न ही आयुर्वेद के प्रभाव और शक्ति को समझते। जबकि आयुष चिकित्सा भी उसी तरह सरकार द्वारा मान्य है जैसी एलोपैथी।

23 नवम्बर 2024 को सोशल मीडिया में फिर अगले दिन सभी प्रमुख अखबारों में यह समाचार वरीयता से छाया रहा कि पूर्व सांसद और क्रिकेटर नवजीत सिद्धू की पत्नी का चौथे स्टेज का कैंसर आयुर्वेद से ही हारा जबकि सभी डॉक्टर्स हाथ खड़े कर दिये थे।

ऐसे ही किडनी फेल्योर, हार्ट, लीवर, गठिया रोगी ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट में लगातार सफल हो रहे तो डायलेसिस से मुक्त होते जाते हैं और तो और 19-20 तक क्रिटनीन पहुँचे रोगी भी।

बस, रोगी दृढ़ इच्छा शक्ति रखता हो, संयम, साधना, सकारात्मकता और आयुर्वेद, योग के पालन में संकल्पित हो।

23 जुलाई 2024 को आयुष ग्राम चित्रकूट में विवेक कुमार यादव (31) सपरिवार आये, बहुत घबराये हुये, बहुत परेशान। रजिस्ट्रेशन कराया, डॉ. आशुतोष त्रिपाठी ने केसहिस्ट्री ली, उन्होंने बताया कि मई 2024 में उल्टी आने लगी, जाँच कराया तो क्रिटनीन 2.0 आया, गोरखपुर ले गये, दवायें चलीं तो बढ़ते-बढ़ते क्रिटनीन 11.0 और यूरिया 180 हो गया। वहाँ से मुझे पीजीआई लखनऊ रिफर कर दिया गया, हम पीजीआई न जाकर अपने देश की राजधानी काठमाण्डू चले आये। जाँच कराये तो क्रिटनीन 12.0, हेमोग्लोबिन 6.5 हो गया।

काठमाण्डू में 3 बार डायलेसिस और 2 बार खून भी चढ़ाया। डॉक्टरों ने कहा कि अब सप्ताह में 2 डायलेसिस करायें तो पाँच बार डायलेसिस सिटी हॉस्पिटल में कराया।

तभी हमें ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट का पता चला, हम यहाँ चले आये। केसहिस्ट्री के बाद डॉ. आशुतोष त्रिपाठी ने खून की जाँच करायी तो क्रिटनीन 12.03, यूरिया 116.7 आया। क्योंकि डायलेसिस के दूसरे ही दिन ही विवेक यादव यहाँ आ गये थे।

अब विवेक यादव को हमारी ओपीडी में भेजा गया। हमने प्रकृति परीक्षण कर रोग की सम्प्राप्ति विनिश्चय की-

अस्वास्थ्यकर जीवनशैली - वात प्रकोप सह ऋतुजन्य वातप्रकोप और पित्त संचय - विषमाग्नि - रस, रक्त प्रदुष्टि - वस्ति स्थान में ‘ख’ वैगुण्य - वृक्काकर्मण्यता (Renal Failure) - रक्तगत विष (Uria creatinine,Uric Acid ) का बाहर न निकलना परिणात: अनेकों शारीरिक उपद्रव।

श्री विवेक यादव की रोग सम्प्राप्ति विनिश्चय में च.सू. 24/5-16 एवं च.सू. 28/9-12, सुश्रुत सू. 15/7 का विचारण करणीय है।

हमने आश्वासन दिया कि आप परेशान न हों आप आयुर्वेद के देवव्यपाश्रय, युक्तिव्यपाश्रय और सत्त्वावजय तथा चतुष्पाद चिकित्सा का अनुपालन करें आपकी डायलेसिस बन्द होगी और लाभ होगा।

उन्हें 5 सप्ताह तक आवासीय चिकित्सा की सलाह दी गयी। वे अंत: प्रविष्ट हो गये। चिकित्सा क्रम इस प्रकार निश्चित किया गया-

देवव्यपाश्रय चिकित्सा-

नित्य योग, प्राणायाम, देवाराधन, जपादि। डायलेसिस की पीड़ा और गले में पड़ी ‘नेक लाइन’ के कारण तो विवेक यादव पहले सप्ताह यह सब अच्छे से नहीं कर पा रहे थे किन्तु दूसरे और तीसरे सप्ताह से तो उन्होंने अपने योग साधना, जपादि में ऐसी लगन लगायी कि सभी भर्ती रोगियों को पीछे कर दिया।

युक्तिव्यपाश्रय चिकित्सा-

1. शोधन चिकित्सा-

स्नेहन, स्वेदन, विरेचन, वस्तियाँ।

2. औषधि व्यवस्था-
  • शु. मन:शिला, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म, स्वर्णमाक्षिक, अभ्रक भस्म शतपुटी, वंग भस्म सभी 25-25 मि.ग्रा. मुक्ता भस्म, शु. गुग्गुल 250 मि.ग्रा., कासनी घन 600 मि.ग्रा. मिलाकर 1 मात्रा। ऐसी मात्रा सुबह-शाम।
  • यह योग रक्त में अपना विशेष प्रभाव दिखाकर रक्त को विषों से मुक्त करने लगा।

  • 3. पुनर्नवाष्टक क्वाथ, दशांग कषाय और बस्तिशोधक कषाय 10-10 मि.ली. मिलाकर बराबर जल मिलाकर भोजन के पूर्व।
  • 4. रात में- चन्दनघन 500 मि.ग्रा. और शरपुंखा घन 1 ग्राम।

उपर्युक्त चिकित्सा व्यवस्था ने विवेक यादव में ऐसी व्याधि क्षमत्व शक्ति (immunity) उत्पन्न की कि वे पहले हफ्ते से ही अपने को स्वस्थ कहने लगे। डायलेसिस बन्द कर देने पर बीच-बीच में रक्त की जाँच कराने पर यूरिया, क्रिटनीन बढ़ता जा रहा था 9 अगस्त 2024 तक में बढ़ते-बढ़ते क्रिटनीन 19.7, यूरिया 217.8 हो गया।

किन्तु आयुर्वेद की सत्त्वावजय, देवव्यपाश्रय और युक्तिव्यपाश्रय का इतना सबल प्रभाव होता है कि इतना यूरिया, क्रिटनीन बढ़ने के बाद भी रोगी में कोई भी उपद्रव नहीं पाये गये।

इतनी प्रभावशाली है अपना वैदिक चिकित्सा विज्ञान। पर इसका प्रचार-प्रसार न तो सरकार द्वारा किया जा रहा है न ही मीडिया का समर्थन मिलता, जिसका दुष्परिणाम यह है कि मानवता कराह रही है, भटक रही है।

चिकित्सा चलती रही, रोग रोग की प्रकृति, अवस्था काल आदि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर चिकित्सा परिवर्तित की जाती रही, अंतत: 16 अगस्त 2024 की जाँच में क्रिटनीन घटकर 18.6 आया और यूरिया 202.4 (थोड़ा बढ़ा)।

6 सितम्बर 2024 तक में यूरिया 170.5, क्रिटनीन 16.9 हो गया, यूरिक एसिड घटकर 7.1 हो गया।

अब हमने विवेक यादव को डिस्चार्ज कर दिया। विवेक यादव ठीक उन्हीं नियम, संयम, आहार, निद्रा, ब्रह्मचर्य, देवव्यपाश्रय चिकित्सा (जप, योग, प्राणायाम) अपनाये हैं। अब क्रिटनीन 11.11, यूरिया 113.8 हो गया है।

विवेक यादव और उनका परिवार इस चिकित्सा को साधना और तपस्या मानकर कर रहे हैं और निरन्तर परोपकार में तत्पर हैं, तब से कई रोगियों को आयुष ग्राम भेज चुके हैं। स्वयं 4-4 घण्टे तक वे जप, योग में तत्पर रहते हैं। अभी मौसम में बदलाव आया, इसमें सभी बीमारियों में थोड़ा बढ़ाव होता है।

विचार करें कि यदि यही रोगी पश्चिमी चिकित्सा सिस्टम (एलोपैथी) में होता तो क्या बिना डायलेसिस उसे डॉक्टर जीने देते। कदापि नहीं और परिवार अशान्त रहता किन्तु अपने देश की वैदिक चिकित्सा कितनी दिव्य और भव्य है कि रोगी को नया जीवन दे देती है। घटते-घटते क्रिटनीन यहाँ तक आ गया, खतरा टल गया और निरन्तर रोग घटता जा रहा है। इसी क्रम से एक साल या कुछ अधिक समय लग सकता है पर बिना डायलेसिस या ट्रान्सप्लाण्ट जीवन चल रहा है। ऐसे ही ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट से रोज केस सफल करके यू-ट्यूब चैनल Ayush Gram Chikitsalay Chitrakootdham में अपलोड किये जा रहे हैं। आप सभी का दायित्व है कि मानवता के कल्याण के लिए अपनी वैदिक चिकित्सा का व्यापक प्रचार करें और सरकार से भी आयुष ग्राम जैसे चिकित्सा संस्थान जगह-जगह खोलने की माँग उठायें।

श्री विवेक यादव जी की अभिव्यक्ति

मैं विवेक कुमार यादव, उम्र-31 वर्ष भैरहवा रूपेन्देही नेपाल से हूँ। मुझे मई 2024 में अचानक से उल्टी आने लगी तो घरवाले जाँच कराने के लिये ले गये, जाँच में किडनी की समस्या पता चली, क्रिटनीन 2.0 आया मैं और मेरे परिवार के लोग घबरा गये और मुझे डॉ. आनन्द बंका गोरखपुर ले गये। वहाँ जाँचे हुयी तब क्रिटनीन 11.0, यूरिया 180 आया। मुझे पी.जी.आई. लखनऊ रिफर कर दिया गया हम लोग पी.जी.आई. न जाकर अपने देश की राजधानी काठमांडू (नेपाल) चले आये। वहाँ फिर जाँच करायी क्रिटनीन 12.0, हिमोग्लोबिन 6.5 आया। काठमांडू में 3 बार डायलिसिस हुयी। साथ में 2 बार ब्लड भी चढ़ाया। डॉक्टर ने सप्ताह में 2 बार डायलिसिस कहकर उसके बाद हम घर के नजदीक सिटी हॉस्पिटल में 5 बार डायलिसिस कराया, उसके बाद हमारे रिश्तेदार राजेश यादव ने मुझे आयुष ग्राम चित्रकूट जाने की सलाह दी और मैं सपरिवार 23 जुुलाई 2024 को आयुष ग्राम पहुँच गया, मेरा रजिस्ट्रेशन हुआ, डॉ. आशुतोष सर ने केस हिस्ट्री ली, जाँचें हुयीं जिसमें क्रिटनीन 12.03, यूरिया 116.7, नाइट्रोजन 54.4 आया। फिर ओपीडी नं. 01 मैं आचार्य डॉ. वाजपेयी जी ने देखा उन्होंने 5 सप्ताह की आवासीय चिकित्सा की सलाह दी। दूसरे सप्ताह में जाँच करवायी, जिसमें क्रिटनीन 19.7, यूरिया 217.8 आया।

तब आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी (गुरु जी) ने हमें सपरिवार अपनी ओपीडी में बुलाया और जप करने के लिये प्रेरित किया और बताया कि महर्षि चरक जैसे चिकित्सा वैज्ञानिक ‘मंत्र जप’ को चिकित्सा बताते हैं, बस! क्या था मैं दूसरे दिन से ही आयुष ग्राम परिसर में स्थापित आयुष विहारी श्री राम मंदिर में प्रात: 5 बजे से 9 बजे तक मैं अपनी पत्नी सहित 4 घण्टे जप, प्राणायाम भी करने लगे।

ऐसी दिनचर्या पालन करने के 1 सप्ताह बाद फिर जाँच करायी जिसमें क्रिटनीन 0.5 घटकर 19.2, यूरिया 199.2 आया। फिर 6 सितम्बर 2024 को जाँच कराने पर क्रिटनीन 16.9, यूरिया 170.4 आया।

मैं डिस्चार्ज कराकर 1 माह की दवा के साथ घर आ गया। घर में मैं नित्य सुबह 4 घण्टे व शाम को 2 घण्टे जप के साथ 30 मिनट प्राणायाम, औषधि सेवन और पथ्य परहेज का पालन करता रहा। अब मेरा क्रिटनीन 11.11, यूरिया 113.80 आ गया। हम कितने खुश हैं आप समझ सकते हैं। आप परेशान न हों आयुष ग्राम पहुँचें वहाँ के अनुसार चिकित्सा में लग जायें आप भी मेरी तरह स्वस्थ होंगे और डायलेसिस जैसे नरक से छूटेंगे।

विवेक यादव पुत्र राजकुमार यादव,
भैरहवा, रूपेन्देही,नेपाल
+9779815461570
(अन्तर्राष्ट्रीय कॉल व्हाट्सप में करें।)
लेख पढ़ने के बाद आप अपने विचार और नाम/पता व्हाट्सएप में लिखें।
हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।

सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्

"चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिका

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आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
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प्रधान सम्पादक

आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी

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