Image

वर्षाऋतु में हानिकारक शाक-सब्जियाँ!!

मानसून आ चुका है जिस प्रकार गर्मियों की भांति वर्षा ऋतु में भी जल जनित बीमारियाँ, फूड प्वाइजनिंग के होने का काफी खतरा बढ़ जाता है। यदि जीवनशैली और खान-पान की सावधानी न रखी गयी तो पूरा घर का घर बीमार पड़ सकता है और बीमार पड़ने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है जिससे अन्य रोगों के उत्पन्न होने का भी जोखिम रहता है और यदि कहीं इलाज के दौरान किसी दवा का साइड इफेक्ट या कुप्रभाव हो गया तो अन्य गंभीर बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

आज ‘आयुष ग्राम’ में एक ५९ वर्षीय एक ऐसे व्यक्ति को उसके परिजन व्हील चेयर में लेकर आये जिसका क्रिटनीन १८.४ था। उसकी मरने जीने की लगी थी, हमने पूछा यह कैसे हो गया, उसने बताया कि कमर दर्द हुआ तो हम जबलपुर में जाने-माने अस्थि रोग विशेषज्ञ के पास ले गये उन्होंने जाँच की ५ इंजेक्शन लगाये और दवाइयाँ दीं। कमर दर्द तो ठीक नहीं हुआ पर घर वापस आते पेशाब में जलन, ब्लडप्रेशर बढ़ना शुरू हो गया, फिर नागपुर गया वहाँ जाँच हुयी तो पता चला कि किडनी फेल्योर हो गया।

आजकल व्यक्ति के पास इतना पैसा हो गया है कि वह कोई भी रोग हो वह अपना ट्रीटमेण्ट हाई फाई अस्पतालों से ही शुरू कराना चाहता है। जिसके अनेकों बार घातक परिणाम आ रहे हैं। हम तो सलाह देते हैं कि जब भी किसी की कोई बीमारी हो तो अपनी चिकित्सा अच्छे आयुर्वेद, यूनानी या होम्योपैथ से शुरू कराना चाहिए, कुछ दिन बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। प्रसंगवश यह चर्चा कर दी।

कुछ ऐसी सब्जियाँ हैं वर्षाऋतु में जिनके सेवन से बचना चाहिए। नमी के कारण इन सब्जियों में कीड़े, जीवाणु पनपते हैं जो पाचनतंत्र को स्थायी या अस्थायी नुकसान पहुँचाते हैं।

टीओआई (Times of india) में छपी एक खबर के अनुसार वर्षाऋतु में हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे- पत्तागोभी, ब्रोकली, अंकुरित अन्न एवं सब्जियाँ पालक, अन्य तरह के शाक के सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि इनके अन्दर बैक्टीरिया, पंâगी, माइक्रोब्स के पनपने का जोखिम बढ़ जाता है जिससे पेट से संबंधित इंफेक्शन, पाचन संबंधित समस्यायें हो सकती हैं।

यह तो हुयी आधुनिक खोज। आज भारत के लोगों में पत्तेदार शाक की ऐसी अन्धी दीवानर्गा है कि उसे स्वाद के आगे अपना अच्छा-बुरा तो दिखता ही नहीं साथ ही उन्हें अपना भारतीय ज्ञान भी विस्मृत हो गया है, यही अज्ञानता मानव जाति की परेशानी का मूल कारण है। भाव प्रकाशकार आचार्य भाव मिश्र कहते हैं-

प्राय: शाकानि सर्वाणि विष्टम्भीनि गुरुणि च।
रुक्षाणि बहुवर्चांसि सृष्टविण्मारुतानि च।।
विनाशयति रक्तमथापि शुक्रम्।
प्रज्ञाक्षयं च कुरुते पलितं च नूनं हन्ति स्मृतिं गतिमिति प्रवदन्ति तज्ज्ञा:।
शाकेषु सर्वेषु वसन्ति रोगास्ते हेतवो देहविनाशनाय।
तस्माद्बुध: शाकविवर्जनं तु कुर्यात्तथाऽम्लेषु स एव दोष:।।

भा.प्र. शाकवर्ग ४।।

प्राय: सभी प्रकार के पत्तेदार शाक पेट को रोगी करने वाले, पचने में भारी, रूखे, मल को बढ़ाने वाले, मल तथा वात नि:सारक होते हैं।

पत्तेदार शाक हड्डियों का भेदन करने वाला, आँखों को हानि पहुॅंचाने वाला, वर्ण, रुधिर, वीर्यनाशक, बुद्धिक्षय कारक, केशों को सफेद करने वाला और स्मरणशक्ति तथा गतिनाशक होता है। सम्पूर्ण शाकों में रोगों का निवास रहता है इसलिए बुद्धिमान् लोग शाक का निषेध करते हैं। खटाई या अम्ल पदार्थ और शाकों में एक जैसे दोष होते हैं। इसलिए अब आधुनिक चिकित्सक भी यूरिक एसिड, पथरी आदि की शिकायत होने पर शाक का सेवन मना करने लगे हैं।

ऐसे ही जमीन के अन्दर उगने वाली सब्जियाँ जैसे- गाजर, शलजम, मूली, चुकन्दर आदि के सेवन से भी सभी को बचना चाहिए। खायें भी तो यह सुनिश्चित् हो जाने पर कि ये संक्रमित नहीं हैं। इन्हें सलाद के रूप में तो खायें ही नहीं। चाहें तो सूप सब्जी के रूप में अच्छी तरह से पकाकर या उबालकर ले सकते हैं। चूँकि वर्षाऋतु में मिट्टी में नमी की मात्रा काफी अधिक होती है इसलिए ये सब्जियाँ भी अधिक पानी सोख लेती हैं इससे इनके जल्दी गलने या सड़ने की सम्भावना बनी रहती है और मन्दाग्नि भी पैदा करती हैं, इससे पेट के रोग और व्याधि क्षमत्व हीनता आती है।

अंकुरित अनाज खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन इसमें नमी काफी होती है जिससे बैक्टीरिया ई. कोलाई के बढ़ने का भरपूर मौका मिल जाता है। बेहतर है कि आप बारिश के मौसम में इसे न खायें, तो कच्चा तो कभी न खायें।

मशरूम भी एक ऐसी सब्जी है जिसे बच्चों से लेकर बड़े तक पसन्द करने लगे हैं, बाजार में ये डिब्बे में बन्द मिलते हैं, कई बार ये प फ्रेश (ताजा) भी नहीं होते हैं। वर्षा ऋतु मेें आप इनका सेवन बिलकुल न करें। नमी और ह्यूमिड कंडीशन के कारण मशरूम में फंफूदी और बैक्टीरिया का विकास तेजी से होता है इसलिए जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है या पाचन सम्बन्धी विकृति से ग्रस्त है उन्हेें विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए क्योंकि मशरूम को पचाना सबके लिए आसान नहीं है। इससे मौजूदा स्वास्थ्य समस्यायें और भी अधिक बढ़ सकती हैं। बैंगन खाना भी खतरे से खाली नहीं है। इस सब्जी से कुछ लोगों को फंगल डिजीज होने का बहुत खतरा रहता है। मानसून में हाई ह्यूमिडिटी होने के कारण फंगल विकसित हो जाता है इससे बैक्टीरिया, फंगी तेजी से पनपते हैं। ऐसे में बेहतर है कि इस मौसम में बैगन न खायें।

लेख पढ़ने के बाद आप अपने विचार और नाम/पता व्हाट्सएप में लिखें।
हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।

सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्

आयुष ग्राम - मासिक पत्रिका -
पृष्ठ 25-26 अंक-7, जुलाई 2024

आयुष ग्राम कार्यालय
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग)
चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)

प्रधान सम्पादक

आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी

घर बैठे रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका प्राप्त करने हेतु। 400/- वार्षिक शुल्क रु. (पंजीकृत डाक खर्च सहित) Mob. NO. 9919527646, 8601209999 आयुष ग्राम ट्रस्ट खाता संख्या '50200047085167' IFSC CODE 'HDFC0002656' शाखा कर्वी माफी पर भेजें।