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हार्ट के ऑपरेशन/पेसमेकर से ऐसे बचा जा सकता है!!

ध्यान रखना चाहिए कि हृदय की स्वस्थता और सबलता निर्भर है, ओज, स्रोतस् की निर्मलता व्यान एवं प्राण वायु, साधक पित्त, अवलम्बक कफ के संतुलन और रस धातु की निर्दुष्टि तथा मानसिक शांति पर न कि सर्जरी, एंजियोप्लास्टी या पेसमेकर पर।

अपने भारत की वैदिक चिकित्सा विधान, प्रभाव और क्षमता की जानकारी के अभाव में अनेकों लोग हार्ट के ऑपरेशन, स्टेंट या पेसमेकर में फंस जाते हैं इसके बाद फिर वह शक्ति और ऊर्जा नहीं मिल पाती जो सर्जरी या एंजियोप्लास्टी (स्टेंट) आदि के पहले थी।

आयुष कार्डियोलॉजी के अन्तर्गत ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट में तो ऐसे-ऐसे रोगियों की सफल चिकित्सा करने का अवसर मिलता है और जो दो-दो बार स्टेंट या बाईपास सर्जरी कराने के बाद भी रुग्ण, असहाय और उत्साहहीन थे।

हमारी अज्ञानता, हड़बड़ाहट, अपनी वैदिक चिकित्सा की विमुखता के कारण ही पापी डॉक्टरों को नकली पेसमेकर तक लगाने का अवसर मिलता है, जिन्हें जरूरत नहीं उन्हें भी पेसमेकर लगा दिया।

सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में तैनात प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीर सर्राफ ने 2017 से 2021 के बीच करीब 600 मरीजों को घटिया पेसमेकर लगा डाले, उनमें से काफी मरीजों की मौत हो गयी। डॉक्टर जेल में है।

जबकि आयुर्वेद संहिताओं में हृदय रोग की चिकित्सा का समग्रता और वैज्ञानिकता के साथ वर्णन है। जिससे चिकित्सा करने पर हृदय रोगी ऑपरेशन, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर के बिना अपनी उम्र के अनुसार ऊर्जा पा जाता है।

किन्तु देश का दुर्भाग्य है कि प्रचार-प्रसार के अभाव में देश के हृदय रोगी अद्भुत प्रभावशाली अपनी वैदिक चिकित्सा का लाभ नहीं उठा पा रहे।

8 मई 2023 को आयुष ग्राम में वृन्दावन कुशवाहा (उम्र 58) शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला इटौर, पन्ना (म.प्र.) को उनके भाई चिकित्सा हेतु लाये। केसहिस्ट्री में बताया कि ५ साल एलोपैथ दवा खा रहा हूँ, घबराहट, बेचैनी, नींद न आना, दाह, बीपी बढ़ना, सीने में दर्द और LVEF (हार्ट पम्पिंग) मात्र 30-35³ है। डॉक्टर ने ऑपरेशन की बात कही है अन्यथा कभी भी कुछ हो सकता है ऐसा कहा है। पर मैं 5 साल से जीवित हूँ। अब हम आयुष ग्राम आ गये हैं।

आयुष ग्राम में सारी रिपोर्टें देखी गयीं फिर रक्त परीक्षण कराया गया और उन्हें 2 सप्ताह हेतु पंचकर्म थैरेपी हेतु आवासीय चिकित्सा हेतु परामर्श दिया गया, वे अंत:प्रविष्ट हो गये।

ध्यान रखना चाहिए कि हृदय रोग के सम्प्राप्ति घटक होते हैं- वात प्रधान, त्रिदोष, रस, मेद, रसवह, प्राणवह, अधिष्ठान, हृदय, स्रोतोदुष्टि (संग), अग्निमांद्य, ऐसे रोग-याप्य।

हमने वात पैत्तिक हृद्रोग निदान किया। आचार्य चरक कहते हैं-

आयम्यते मारुतजे हृदयं तुद्यते तथा।
निर्मथ्यते दीर्यते च स्फोट्यते पाट्यतेऽपि च।।
तृष्णोष्मादाहचोषा: स्यु: पैत्तिके हृदयक्लम:।
धूमायनश्च मूच्र्छा च स्वेद: शोषो मुखस्य च।।

सु.उ.त. 43/7-8।।

खींचने जैसा या सुई चुभोने जैसा शूल, कुचलने जैसी, तोड़ने जैसी, फाड़ने जैसी पीड़ा, ऊष्मा, दाह, चोष, हृदयक्लम, मुखशोष, स्वेद ऐसे लक्षण हों तो वातपैत्तिक हृदय रोग है। हमने शास्त्रीय पद्धति से श्री वृन्दावन कुशवाहा जी के रोग की सम्प्राप्ति इस प्रकार विनिश्चय की-

  • लगातार शारीरिक और मानसिक श्रमाधिक्य
  • बेतरबीत जीवनशैली और खान-पान
  • वात-पित्त प्रकोप
  • अग्निमांद्य
  • आमोत्पत्ति
  • रसधातु की दुष्टि
  • स्रोतोरोध
  • धमनी प्रतिचय (C.A.D.)
  • हृद्शक्ति क्षीणता (LVEF कम)
  • हृच्छूल तथा अन्य उपद्रव।

चिकित्सा व्यवस्था-

आहार चिकित्सा-

शांत, स्वच्छ स्थान में सादा सुपाच्य भोजन में। नाश्ते में- रात में भिगोयी किशमिश, काजू, बदाम और अखरोट तथा अनारदाने।

दोपहर में-

परवल, लौकी, तुरई, नेनुआ, कद्दू, कच्चे पपीते की सब्जी, जौ, चना, गेंहूँ मिश्रित आटे की रोटी, गोघृत, अदरक आँवले की चटनी। दलिया, चावल या खिचड़ी। 3 बजे- पेठा या असली साबूदाना की खीर, रात का भोजन कम मात्रा में। नित्य योग-प्राणायाम, हवन, यज्ञ, जप, देवव्यापाश्रय चिकित्सा का आश्रय।

औषधि व्यवस्था-
  • 1. रत्नाकर रस, विश्वेश्वर रस और जवाहर मोहरा 1-1 ग्राम, अश्वगन्धा चूर्ण 10 ग्राम, स्वर्ण वंग 1 ग्राम, शटी चूर्ण 5 ग्राम, विदारीकन्द चूर्ण 5 ग्राम, अर्जुन चूर्ण 10 ग्राम तथा उग्रगन्धा चूर्ण 4 ग्राम सभी को अच्छे से मिलाकर दिन में 2 बार भोजनोपरान्त सुखोष्ण जल से।
  • 2. कूष्माण्ड पाक- 10-10 ग्राम दिन में 2 बार।
  • 3. विदार्यादि कषाय और द्राक्षादि कषाय 8-8 मि.ली. मिलाकर चतुर्गुण जल मिलाकर भोजन के पूर्व।
  • 4. रात में सोते समय- आरग्वधादि चूर्ण 4 ग्राम, गरम जल से।
  • पंचकर्म में-

    अनुवासन, निरूहवस्ति, हृद्वस्ति, चक्रवस्ति, शिरोधारा, शिरोभ्यंग, पादाभ्यंग, स्वेदनादि।

    देवव्यापाश्रय चिकित्सा-

    नाम जप, मंत्र जप, साधना, योग, प्राणायाम, विनम्रता आदि।

    यदि रोग पीड़ित चिकित्सा के साथ जप, साधना, योग, ध्यान का आश्रय तो बहुत तेजी से लाभ होता है। क्योंकि कहते हैं- ‘प्रशमो ज्ञानमेव च।।’ च.सू. 30/14।।

    उपर्युक्त चिकित्सा 2 सप्ताह देने के पश्चात् श्री वृन्दावन कुशवाहा को डिस्चार्ज कर दिया गया। पश्चात् वे हर माह ‘फॉलो-अप’ में आते रहे।

    बीच-बीच में थोड़े बहुत लक्षण उभरकर आते थे, उन्हें थोड़ी निराशा होती थी तो उन्हें आश्वस्त किया जाता था।

    15 माह चिकित्सा के बाद जब वृन्दावन कुशवाहा ने पुन: ईको करवाया तो डॉक्टर स्वयं रिपोर्ट देखकर आश्चर्यचकित रह गये LVEF (हार्ट पम्पिंग) 30-35% से बढ़कर 55% हुयी। दोनों रिपोर्ट प्रकाशित की जा रही हैं।

    रिपोर्ट कराकर जब वह 1 सितम्बर 2024 को आयुष ग्राम चित्रकूट आये उस समय अतर्रा डिग्री कॉलेज के भूगोल विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ.आर.एस. त्रिपाठी जी और राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज हंडिया प्रयागराज के प्रोपेâसर (डॉ.) सामू प्रसाद पाल भी परामर्श हेतु आये थे। हमने यह रिपोर्ट उन्हें भी दिखायी, जिसे देखकर वे आश्चर्य चकित से हो गये।

    इतनी प्रभावशाली है अपनी वैदिक चिकित्सा। पर दुर्भाग्य है कि प्रचार-प्रसार के अभाव में आमजन इसका लाभ नहीं उठा पा रहे और हार्ट रोगी बने, मौत के भय के साये में उत्साहहीन बनकर भटकते रहते हैं।

    यदि किसी रोगी का LVEF नहीं बढ़ा तब भी यह चिकित्सा इतनी ऊर्जस्कर है कि उसका जीवन बिना पेसमेकर या सर्जरी के अच्छा चलता है।

    उपर्युक्त चिकित्सा में प्रयुक्त ‘रत्नाकर रस’ ऐसा कल्प है जिसकी कार्मुकता पर हम एक विस्तृत लेख ‘चिकित्सा पल्लव’ में प्रकाशित कर चुके हैं।

    पंचकर्म द्वारा जैसे ही शरीर के विकारों का निर्हरण हुआ, वात और पित्त प्रकोप शांत हुआ तो हृदय की गति स्वस्थ होने लगी। क्योंकि शरीर की जितनी भी चेष्टायें हैं वह ‘वात’ के द्वारा ही होती हैं। ‘सर्वा हि चेष्टा वातेन स प्राण: प्राणिनां स्मृत:।।’ च.सू. 17/18।। इससे स्पष्ट है कि हार्मोनल डिसार्डर, हार्ट फंक्शन जैसी क्रियायें वात के ही अधीन हैं। इस सिद्धान्त को कोई समझना ही नहीं चाहता और लाक्षणिक दवायें खाते रहते हैं। दुष्परिणाम सामने है।

    रसायनौषधियों ने ओज की वृद्धि की और रसदुष्टि को हटाया और साधक पित्त को संतुलित किया तो व्यानवायु के कार्य को सम्यक् किया तो LVEF बढ़ने लगा।

    रत्नाकर रस और विश्वेश्वर रस का ओजवर्धन प्रभाव सर्वज्ञात है। यह ऋषियों द्वारा आविष्कृत अद्भुत योग है। हम इसका स्वयं अपने यहाँ निर्माण कराते हैं।

    1 सितम्बर 2024 को शिक्षक श्री वृन्दावन कुशवाहा ने अपनी अभिव्यक्ति इस प्रकार की-
    हार्ट पम्पिंग 35 से 55% हुयी : पेसमेकर से बचा!!

    मैं वृन्दावन कुशवाहा (उम्र 58), पन्ना से हूँ और शासकीय अध्यापक हूँ। मुझे सन् 2023 में अचानक सीने में दर्द होने लगा, मुझे सबसे पहले नागपुर ले जाया गया, वहाँ पर एंजियोग्राफी हुयी (हार्ट पम्पिंग) LVEF-30-35% आया। 2 साल तक दवायें चलीं कोई आराम नहीं मिला। अब तो डॉक्टर हार्ट में मशीन लगवाने को कहने लगे, एक डॉक्टर स्टेंट के लिए कहने लगे। मैं इससे बचता रहा क्योंकि मैं मशीन या छल्ले के सहारे जीवन सुरक्षित नहीं मानता था।

    अब मैंने भोपाल में दिखाया, वहाँ पर भी एंजियोग्राफी व ईको करवाई गयी, वहाँ डॉक्टर ने कहा कुछ दिनों तक दवायें खाने से अगर आराम न मिले तो एंजियोप्लास्टी और पेसमेकर लेना पड़ेगा। मैं परेशान था, कोई ऐसा रास्ता ढूँढ़ रहा था ताकि हार्ट से छेड़छाड़ न करनी पड़े।

    तभी मुझे अमानगंज (पन्ना) के एक व्यक्ति ने आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट का पता दिया।

    मैं 8 मई 2023 को आयुष ग्राम चित्रकूट आया, उस समय मेरे सीने में दर्द, सीने में जलन, पैरों में जलन, ब्लडप्रेशर बढ़ा रहता था, नींद नहीं आती थी, घबराहट, पेट साफ नहीं होता था।

    मेरा पर्चा बना, फिर ओपीडी नं.-1 में भेजा गया। वहाँ आचार्य डॉ. वाजपेयी जी ने देखने के बाद 2 सप्ताह तक आवासीय चिकित्सा की सलाह दी। मैं यहाँ 2 सप्ताह के लिए रह गया। चिकित्सा में हृदय वस्ति, अभ्यंग, स्वेदन, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति, शिरोधारा, सादा और सुपाच्य भोजन और आयुर्वेदीय रस-रसायन औषधियों का प्रयोग होने लगा। बहुत ही आरामदायक चिकित्सा। न कोई चीर-फाड़, न ऑपरेशन। 2 सप्ताह की चिकित्सा से मुझे लगभग 70% आराम मिल गया, मेरी सभी अंग्रेजी दवायें भी बन्द हो गयीं।

    चिकित्सा के बाद मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया, मेरी लगातार दवायें चलीं, बीच में मुझे थोड़ी बहुत परेशानी हुयी वह डॉक्टर साहब सम्हालते रहे। 15 माह दवा खाने के बाद 17 अगस्त 2024 को जब मैंने ईको करवायी तो हार्ट पम्पिंग 55% जिसे देखकर डॉक्टर भी दंग रह गये। यह आयुष चिकित्सा द्वारा ही हो सकता है, यह बात एलोपैथ के डॉक्टर जिन्होंने भोपाल में मेरा ईको किया उन्होंने भी कही।

    मैं सभी से यही कहना चाहूँगा कि यदि आप या आपका कोई भी हार्ट रोग से परेशान हैं और डॉक्टर ऑपरेशन के लिए कह रहे हैं तो वे आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट पहुँचें और वहाँ का ट्रीटमेण्ट लें वे भी ऑपरेशन से बचेंगे।

    मेरा सारा डर भी खत्म हो गया। मेरा परिवार बहुत प्रसन्न है।

    वृन्दावन कुशवाहा,
    शिक्षक शा.प्रा.शा. हरिजन बस्ती इटौर, पन्ना (म.प्र.)
    मोबा.नं. 7566943872
    लेख पढ़ने के बाद आप अपने विचार और नाम/पता व्हाट्सएप में लिखें।
    हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।

    सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्

    "चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिका

    आयुष ग्राम कार्यालय
    आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
    सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग)
    चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)

    प्रधान सम्पादक

    आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी

    घर बैठे रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका प्राप्त करने हेतु। 450/- वार्षिक शुल्क रु. (पंजीकृत डाक खर्च सहित) Mob. NO. 9919527646, 8601209999 चिकित्सा पल्लव के खाता संख्या 380401010034124 IFCE Code: UBIN0559296 शाखा: कर्वी माफी पर भेजें।