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आयुर्वेद के सफल सिद्ध योग

आँत उतरने में

जब आँत उतरने की बीमारी इतनी बढ़ जाय कि दोनों वृषणों में आँतों के अवयव मिल जाय तो यह आंत्रवृद्धि असाध्य हो जाती है।

एरण्ड तैल २० मि.ली., शु. गुग्गुल ५ ग्राम और आठ बार कपड़े से छाना गोमूत्र ३० मि.ली. मिलाकर सुबह खालीं पेट नित्य सेवन करने से ४० दिन में आँत उतरना ठीक हो जाता है।

परहेज-वायु (गैस) को बढ़ाने वाले खान-पान, शीतल जल में घुसकर स्नान करना, मल-मूत्रादि के वेग रोकना, जोर लगाकर मल-मूत्र त्याग करने से, बोझा उठाना, बहुत पैदल चलना, हिचकोलेदार सवारी से कम से कम ६ माह तक परहेज करें।

पेशाब में जलन

खीरे के बीज, मुलहठी और दारुहल्दी को बराबर-बराबर लेकर मिलाकर चूर्ण कर लें। १-१ चम्मच चूर्ण को चावल के जल के साथ दिन में २-३ बार सेवन करने से पेशाब की जलन भी मिटती है और पित्त विकार भी मिट जाता है तथा पेट भी साफ हो जाता है।

दर्द के साथ पेशाब की जलन में

छोटी हरड़, गोखरू, अमलतास का गूदा, पाषाण भेद, धनिया और धमासा को बराबर-बराबर लेकर जौ कुट कर लें। २० ग्राम इस चूर्ण को एक पास जल में पकायें जब पकते-पकते ६० मि.ली. बचे तो उतार कर मसलकर छान लें। २ चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज भी मिटता है, पेशाब की जलन भी जाती है।

पेशाब में बदबू आना

भटकटैया (कंटकारी) पंचांग का चूर्ण २५ ग्राम, पानी ५०० मि.ली. पकाकर काढ़ा करें जब ५० मि.ली. काढ़ा बचे तो उतारकर छानकर ठण्डाकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर ४० दिन तक पीने से पेशाब के दोष मिट जाते हैं।

परहेज- गरम, खट्टी, चटपटी चीजों का करना है।

मूत्र विकार और प्रोस्टेट बढ़ने में

धनिया और गोखरू १५-१५ ग्राम लेकर जौ कुट कर ५०० मि.ली. पानी में पकायें जब ६० मि.ली. बचे तो उतारकर छानकर सुबह-शाम खाली पेट सेवन करने से मूत्राघात, मूत्रदोष और वीर्य के दारुण दोष मिट जाते हैं। ४० दिन तक सेवन करना है तथा खान-पान, सोने का जागने के नियमों का पालन करना है।

प्रोस्टेट और पेशाब की कड़क में

गोखरू, एरण्ड और शतावर की जड़ १०-१० ग्राम लेकर कूटकर ५०० मि.ली. पानी में पकायें जब पकते-पकते ६० मि.ली. बचे तो उतारकर छानकर सुबह और ऐसे ही ताजा काढ़ा बनाकर शाम को पीना है।

इस प्रयोग से प्रोस्टेट की बीमारी मिटती है, मूत्राशय निरोग और बलवान् होता है। पेशाब की सारी बीमारी दूर होती है, हमने यह भी पाया कि यह योग पथरी को भी मिटाता है और शक्ति भी देता है तथा उच्च रक्तचाप को भी धीरे-धीरे घटाता है।

एक व्यक्ति को हमने नमक सेवन बन्द कराकर एक माह तक इस काढ़े का सेवन कराया तो उसके मूत्र में आने वाले ‘पस सेल’ बन्द हो गये, उसे रक्तचाप १५०/१०० रहता था वह भी १३०/९० रहने लगा। ६ माह के प्रयोग से वह प्रोस्टेट के ऑपरेशन से बच गया।

पथरी मिटती है

इलायची, पीपल, मुलहठी, पाषाण भेद, रेणुका, गोखरू, अडूसा के पत्ते और एरण्ड की जड़ सभी ५-५ ग्राम लेकर मिलाकर जौ कूट करके रख लें। ३० ग्राम इस औषध द्रव्य को लेकर ४०० मि.ली. पानी में पकायें जब ५० मि.ली. बचे तो उतारकर मसलकर छानकर सुबह ऐसे ही शाम को पीते रहने से ५ मि.मि. तक की पथरी टूट-टूटकर मूत्र मार्ग से निकल जाती है।

परहेज- पालक, टमाटर, प्याज और गरिष्ठ चीजों न लें। थोड़ा-थोड़ा पानी बार-बार पीते रहें पर कई लीटर पानी न पियें।

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हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।

सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्

"चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिका
अंक -3 पृष्ठ 25 मार्च 2022

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प्रधान सम्पादक

आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी

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