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ऐसे हो चिकित्सा तो मिटे मधुमेह और हार्ट रोग भी!!

जिस समय भारत सरकार की ही कौंसिल आईएमसीआर ने एम्स, पीजीआई और तमाम सरकारी एलोपैथ चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टरों पर उँगली उठा दी कि 45 फीसदी प्रेस्क्रिप्शन ही गलत लिखे जा रहे हैं। ऐसे में आप सबको अपनी विरासत, ऋषि प्रदत्त चिकित्सा विज्ञान की ओर आना चाहिए, इसका प्रचार-प्रसार करना चाहिए। आपको प्रसन्नता होगी कि शुगर और हार्ट की सफल हमारी वैदिक चिकित्सा में है।

2 अप्रैल 2023 को श्री महेन्द्र गौड़ अपनी धर्म पत्नी सुनीता उम्र 38 को लेकर आयुष ग्राम चित्रकूट आये। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद अपनी समस्या लिखायी कि इनके बायीं तरफ सीने में दर्द उठता था तो डॉ. सिंघल जो कानपुर के जाने-माने कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं उन्हें दिखाया उन्होंने दवा शुरू की और एंजियोग्राफी/एंजियोप्लास्टी के लिए सलाह दी।

दवा चलते-चलते कुछ दिन बाद इन्हें शुगर की समस्या हो गयी 450 एमजी/डीएल तक शुगर पहुँच जाता, आँखों में धुँधलापन, घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा, सिरदर्द, पेशाब में जलन हो गयीं। हम परेशान थे, नई-नई बीमारी बन रही थीं। तभी यहाँ का पता चला और हम आयुष ग्राम चले आये।

हमने सुनीता का दर्शन, स्पर्श, प्रश्नादि से परीक्षण करने पर पाया कि उनका वात दोष भयानक रूप से कुपित है विषमाग्नि, अनिद्रा, मलप्रवृत्ति विषम, ओज क्षीणता, भय, अरति, दीनता।

ऊपर से डॉक्टरों ने सुनीता और उनके परिवार में इतना भय पैदा कर दिया था कि मानो मौत उनके सामने ही खड़ी हो। हमने आश्वस्त किया कि परेशान न हों सब अच्छा होगा तथा 2 हफ्ते की आवासीय चिकित्सा हेतु ‘आयुष ग्राम’ में रख दिया।

हविश्व के महान् शल्य वैज्ञानिक आचार्य सुश्रुत को नमन करना पड़ेगा जिसने हजारों साल पहले सर्वप्रथम हृदय शूल (Angina) के कारण और चिकित्सा की खोज करके दुनिया को दिया पर हमारा दुर्भाग्य है कि हम इसका भरपूर उपयोग नहीं कर रहे न ही सरकार इसका प्रचार कर रही। उन्होंने लिखा-

वातमूत्रपुरीषाणां निग्रहादतिभोजनात्।
अजीर्णाध्यशनायासविरुद्धन्नोपसेवनात्।।
पानीयपानात् क्षुत्काले विरूढानां च सेवनात्।
पिष्टान्नशुष्कमांसानामुपयोगात्तथैव च।।

सु.उ.त. 42/78-79।।

कफपित्तविरुद्धास्तु मारुतो रसमूर्च्छित:।
हृदिस्थ: कुरुते शूलमुच्छ्वासारोधकं परम्।
स हृच्छूल इति ख्यातो रसमारुतसंभव:।।

सु.उ.त. 42/132।।

इसमें मल, मूत्र, अपानवायु (गैस) के वेग को रोकना, अति भोजन, पूर्व के किए भोजन के बिना पचे भोजन की आदत, विरुद्ध और प्रतिकूल भोजन, भूख लगने पर भोजन कर पानी पी लेना, पिट्ठी से बने पदार्थ या सूखे मांस का सेवन, अंकुरित अन्न का सेवन ऐसे कारण शूल (pain) पैदा करते हैं।

यह भी दुर्भाग्य है कि आजकल अज्ञानता, आलस्य, व्यस्तता या असुविधा के कारण से स्त्री-पुरुषों में ये आदतें प्राय: हो गयी हैं।

तो ऐसे गलत जीवनशैली से कफ और पित्त असंतुलित होने लगता है, इससे वायु के संचरण में बाधा होती है और ‘रस’ धातु दूषित हो जाती है। यही वायु हृदय में अवस्थित होकर शूल (pain) पैदा करता है। इस शूल (दर्द) के कारण श्वास लेने तक में कठिनाई होती है।

अब समस्या यहाँ पर है कि आधुनिक चिकित्सा एलोपैथ में इतना गहराई से विचार होता नहीं है और धुँआधार जीभ के नीचे रखने वाली दवायें और कई तरह की लाक्षणिक दवायें देते रहते हैं जिससे रोग तो मिटता नहीं उल्टे तंत्रिका तंत्र और कमजोर होता जाता है। नई-नई समस्यायें अवश्य होने लगती हैं जैसे सुनीता गौड़ के साथ हुआ कि हार्ट की दवा खाते-खाते पैंक्रियाज की क्रिया प्रभावित हो गयीं और इंसुलिन का उत्पादन कम हो गया या बन्द हो गया या शरीर ने इंसुलिन का उपयोग ही बन्द कर दिया परिणामत: शुगर हो गया। अब ये डॉक्टर शुगर की दवायें खिलाने लगे। इस प्रकार केवल 38 साल की महिला भयंकर रोगों से ग्रस्त हो गयी।

सुनीता का मधुमेह और हार्ट रोग ऐसे ठीक हुआ!!

हमने देखा तो HbA1C 12.4 लिपिड प्रोफाइल और लीवर फंक्शन टेस्ट भी बढ़े थे।

चिकित्सा-

आचार्य सुश्रुत हृदयशूल (हृच्छूल) में निर्देश करते हैं-

तत्रापि कर्मभिहितं मदुक्तं हृद्विकारिणाम्।। सु.उ.तं. 42/133।।

अअर्थात् हृच्छूल (एंजाइना) की चिकित्सा भी हृदय रोग की तरह करनी चाहिए। सुनीता की चिकित्सा प्रारम्भ की गयी।

पंचकर्मोपचार-
  • स्नेहन, स्वेदन, शिरोधारा, हृदवस्ति, निरूहवस्ति, अनुवासन वस्ति क्रम और विधानानुसार।
औषधि व्यवस्था पत्र-

औषधि व्यवस्था पत्र में हमें ध्यान रखना था कि पैंक्रियाज की स्थिति सुधरे तथा शरीर की चयापचय स्वस्थ हो तो मधुमेह से छुटकारा मिले क्योंकि मधुमेह न तो अनुवांशिक था न ही स्वतंत्र था, वह तो एलोपैथ दवा खाते-खाते हो गया था।

बलापुनर्नवैरण्डवृहतीद्वयगोक्षुरै:।
सहिंगु लवणोपेतं सद्यो वातरुजापहम्।।

भा.प्र.शूल रोगाधिकार 40।।

  • बला, पुनर्नवा, एरण्ड, छोटी और बड़ी भटकटैया का सान्द्र क्वाथ तैयार, उत्तम हींग 250 मि.ग्रा. और सेन्धानमक 1 ग्राम मिलाकर दिन में 4 बार (हर 3 घण्टे के अन्तर से)
  • भोजन में गरम-गरम जौ की यवागू गोघृत गरम-गरम मिलाकर दिया जाता रहा। यवागू निर्माण में अदरक स्वरस का प्रयोग किया गया।
  • रत्नेश्वर रस 2 ग्राम, त्रैलोक्य चिंतामणि रस (रसयोग सागर) 3 ग्राम, जवाहर मोहरा रोप्ययुक्त 4 ग्राम, वातकुलान्तक रस 5 ग्राम, पोहकरमूल घनसत्व 10 ग्राम सभी घोंटकर 25 मात्रा। 1-1 मात्रा सुबह-शाम गरम जल से।
  • रसोनादिकषाय 10-10 मि.ली. द्विगुण जल मिलाकर भोजन के पूर्व।

2 सप्ताह में लाभ के संकेत मिल गये, ऐसा परिणाम आ गया कि अब सुनीता ठीक हो जायेंगी।

हमने सुनीता के पति को बताया कि चूँकि रोग बिगाड़ दिया गया है, दवा खाते-खाते मधुमेह भी बन गया फिर भी चिन्ता न करें अभी उम्र 38 है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी है अत: एक साल तक संयम पूर्वक चिकित्सा करें, रोग जड़ से मिट जाएगा। क्योंकि सुश्रुत का निर्देश है-

अधनोवैद्यसन्देशादेवं कुर्वन्नतन्द्रित:।
संवत्सरादन्तराद्वाप्रमेहात्प्रतिमुच्यते।।

सु.चि. 11/2।।

यदि रोगी चिकित्सक के निर्देशों और आदेशों का पूर्ण निष्ठा पूर्वक आलस्य रहित होकर विधि-विधान से चिकित्सा करता है तो एक वर्ष या उससे कम समय में वह प्रमेह से मुक्त हो जाता है।

उन्होंने लगातार एक साल तक चिकित्सा लिया, अब सुनीता पूर्णतया रोगमुक्त थी। हृदय रोग तो मिटा ही पर मधुमेह भी समाप्त था। HbA1C 7% आ गया।<

सुनीता जी को बीच-बीच में वात प्रधान कई उपद्रव आते गये जैसे सर्वाइकल, स्पॉण्डिलाइटिस आदि। उसकी भी चिकित्सा दी जाती रही और रोग हटते गये।

इसी दिन सुनीता ने आप सबके लिए अपनी अनुभूति इस प्रकार व्यक्त की-
मधुमेह मिटा और हार्ट रोग भी : आयुष ग्राम से!!

मै सुनीता गौड़ पत्नी श्री महेन्द्र गौर निवासी मवई ब्रम्हनान सफीपुर उन्नाव (उ.प्र.) से हूँ, 1 वर्ष से बायें तरफ सीने में दर्द उठता था और हाँथ तक आता था जाँच करवाया तो हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या पता चली तो कानपुर के डॉ. सिंघल की दवा चली ऐलोपैथी दवा के चलते-चलते मधुमेह की समस्या हो गयी शुगर 450 mg/dl तक पहुँच जाता था, आँखों में धुँधलापन, घबराहट, बेचैनी नींद कम आती है, सिर दर्द, यूरिन में जलन आदि समस्यायें बढ़ गयी। तभी हमें आयुष ग्राम चित्रकूट के बारे में पता चला हम 2 अप्रैल 2023 को ही हम आयुष ग्राम आये। केसहिस्ट्री के बाद आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी जी की ओपीडी में भेजा गया। मैंने बताया कि दर्द इतना रहता है कि हाथ और सीने में की रात भर रो-रोकर कटती है। डॉ.वाजपेयी जी ने मुझे आश्वासन दिया कि दो सप्ताह की आवासीय चिकित्सा से सब ठीक होगा, कोई ऑपरेशन नहीं कराना होगा। हमने 2 सप्ताह तक रहकर चिकित्सा ली और लगातार 1 वर्ष तक दवायें चलीं। आज सब ठीक है। बस, परहेज चल रहा है। शुगर खाने के बाद 120-130 तक रहता है। सब दवा बन्द हैं।

मैं चाहती हूँ कि लोकहित में मेरी बात सब जगह पहुँचे। कौन कहता है कि शुगर जड़ से नहीं मिटता, बस चिकित्सा सही से हो।

श्रीमती सुनीता गौड़,
मवई ब्रम्हनान सफीपुर,उन्नाव (उ.प्र.)
मो० नं०- 6307476858

ध्यान रखना चाहिए कि हृदय रोगी का ओज प्रभावित होता है, प्राणवायु, साधक पित्त अवलम्बक और रसधातु असंतुलित होता है। इस पर ध्यान रखकर चिकित्सा करनी चाहिए तो जैसे-जैसे रोगी का ओज बढ़ेगा, वैसे-वैसे उसका हृदय स्वस्थ होगा। रोगी को ब्रह्मचर्य का पालन, प्रात: की हवा, ध्यान, प्राणायाम और जप का निर्देश देना चाहिए। रोगी को गोदुग्ध, गोघृत अवश्य देना चाहिए, यह ओजवर्धक है। यदि आप सब अभियान चला दें तो किसी को भी स्टेंट और बाईपास सर्जरी से न गुजरना पड़ेगा।

हम यह सारा परिश्रम इसीलिए करके आप तक पहुँचा रहे हैं ताकि एक नये युग अवतरण हो सके। हम यह सोचते हैं कि जब मोदी जी बिना किसी एलोपैथ की जाँच और दवा के बिना छुट्टी लिए देश को आगे ले जा रहे हैं तो उसी आयुर्वेद और योग से अन्य सभी क्यों नहीं ऐसे हो सकते?

हाल में ही किये गये शोध में बताया गया है कि यदि जीवनशैली में सुधार लाया जाय तो 58 फीसदी लोग मधुमेह के खतरे से बच सकते हैं।

लेख पढ़ने के बाद आप अपने विचार और नाम/पता व्हाट्सएप में लिखें।
हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।

सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्

"चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिका

आयुष ग्राम कार्यालय
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग)
चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)

प्रधान सम्पादक

आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी

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