
वेदान्त को दौरे आते थे, डॉक्टरों ने कहा था कि कभी ठीक नहीं हो सकता!
आप सभी को यह बात गाँठ बाँध लेना चाहिए कि एलोपैथिक डॉक्टरों का निर्णय अंतिम निर्णय नहीं हो सकता। कि कदाचित् उन्होंने कह दिया कि यह रोगी इससे आगे नहीं ठीक हो सकता तो हम भी उसे मान लें।
क्योंकि भारत में वैदिक चिकित्सा वैज्ञानिकों चरक, सुश्रुत, वाग्भट, धन्वन्तरि जी का भी महान् चिकित्सा विज्ञान है जो वह करने में सक्षम है, जो एलोपैथ कभी नहीं कर सकता, अब हम उस ओर बढ़ें।
28 जून 2024 को छतरपुर जिले के बछौन से प्रियव्रत शुक्ला अपने बेटे वेदान्त उम्र 6 को लेकर ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट आये। रजिस्ट्रेशन हुआ, केसहिस्ट्री के क्रम में उन्होंने बताया कि मेरा बेटा जन्म के समय रोया नहीं, फिर सोने के समय झटके आने लगे, चल नहीं पाता, लेटा रहता है, बोल नहीं पाता, झटके अभी भी आते हैं।
- हमने पहले ग्वालियर में डॉ. अजय गौड़ को दिखाया, डेढ़ साल तक इसका इलाज हुआ, उनकी दवा से नशे जैसे में रहता था।
- भोपाल में डॉ. गौरी पंडित का डेढ़ साल तक इलाज किया उन्होंने कह दिया कि इस बच्चे की हालत ऐसी ही रहेगी।
- भोपाल एम्स का इलाज दो साल तक चला। डॉक्टर ने कहा था कि न तो यह बैठ सकता, न चल सकता।
- हम परेशान थे, इनकी माँ तो हमेशा रोती रहती थी। तभी हमें एक रिश्तेदार के माध्यम से ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट का पता चला कि यह उत्तर भारत का बहुत बड़ा आयुष हॉस्पिटल है। हम यहाँ चले आये।
हमने इनके इलाज के सभी पर्चे देखे और जाँचें देखीं, जाँच में ‘इपिलेप्सी’ बताया गया था। किन्तु जब हमने वैदिक चिकित्सा से निदान किया तो पाया कि वेदान्त को सन्निपातिक ‘मूर्च्छा’ रोग है। जिसमें कम्पन (झटके), शरीर में मसलने जैसी पीड़ा, हृदय में पीड़ा, ऊपर की ओर देखना, बेहोशी खत्म होने पर पसीना, प्यास लगना, शरीर में दाह, रोगी के मुँह से लार गिरना और मितली होती हैं। ऐसे में ऐसा ही लगता है कि मानो ‘अपस्मार’ (इपिलेप्सी) हो।
भारत के प्राचीन चिकित्सा वैज्ञानिक चरक, सुश्रुत, वाग्भट ने इस रोग के निदान (Diagnosis) बहुत कार्य किया किन्तु भारत का कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि अपने पूर्वजों, ऋषियों और वैज्ञानिकों के अनुसंधान का भरपूर उपयोग नहीं कर पा रहे और मासूमों की जिन्दगी तबाह हो रही है। आचार्य चरक लिखते हैं-
सर्वाकृति: सन्निपातादपस्मार इवागत:। स जन्तुं पातयात्याशु विना बीभत्सचेष्टितै:।।
च.सू. 24/41।।
आचार्य वाग्भट लिखते हैं-
सर्वाकृतिस्त्रिभिर्दोषैरपस्मार इवापर:। पातयत्याशु निश्चेष्टं विना बीभत्सचेष्टितै:।।
अ.हृ.नि. 6/35।।
उधर बच्चे वेदान्त को ‘बेल्पारिन, लिविकेम, जेकोवा, नार्वमैक्स, प्रेगालिन’ अंग्रेजी दवायें चल रही थीं यही बच्चे को शिथिल किये थीं।
विचार करें कि जब रोग कुछ और दवा कुछ होगी तो परिणाम तो अच्छा नहीं ही आएगा। उधर नौनिहालों की बुद्धि, चेतना, क्रियता से गड़बड़ तो होते ही जायेंगे तथा बच्चे के अभिभावक परेशान रहेंगे।
हमने वेदान्त में रोग की सम्प्राप्ति इस प्रकार विनिश्चय की-
स्वप्रकोपक निदान सेवन —वात प्रधान त्रिदोष प्रकोप — बाह्य एवं अभ्यंतर आयतनों (इन्द्रिय/मनोवह स्रोतस्) में उग्र रूप से विकृत दोषों का प्रवेश — रज तम की वृद्धि — मूर्च्छा (बेहोशी), झटके, निष्क्रियता, दौरों के लक्षण। (सु. 46/3-4)
रोग और रोगी की स्थिति समझने के बाद हमनें आश्वस्त कर दिया कि आप निश्चिन्त रहें, आपका बच्चा स्वस्थ होगा। जल्दी ही ये अंग्रेजी दवायें बन्द होंगी, वेदान्त के पिता प्रियव्रत शुक्ला ने कहा कि अब तो डॉक्टरों ने कह दिया है कि भी वह चल ही नहीं सकता। हमने कहा परेशान न हों। हमने बच्चे को आवासीय चिकित्सा में 2 सप्ताह के लिए रखा और कहा कि बाद में 10 दिन के लिए और रखना पड़ेगा।
चिकित्सा में- ‘वातस्यानुजयेत पूर्वम्’ (चरक) तथा वाग्भट के सूत्र कुर्यात् क्रियां यथोक्तां च यथादोषबलोदयम्।। अ.हृ.चि. 7/107।। के अनुसार सर्वप्रथम ‘वात’ को जीतने की चिकित्सा की गयी। इसके लिए पंचकर्म थैरेपी में- सर्वांग अभ्यंग, स्वेदन, निरूह बस्ति, अनुवासन बस्ति, शिरोबस्ति अन्नलेप दिया गया।
आहार में- सादा, सुपाच्य आहार।
औषधि में-
- 1. चिन्तामणि चतुर्मुख रस 1 ग्राम, अम्बरशिलादि योग 2 ग्राम, मुक्तापिष्टी 2 ग्राम, अकीक पिष्टी 2 ग्राम, हेमवती 5 ग्राम सभी मिलाकर 16 मात्रा। ऐसी 1-1 मात्रा सुबह-शाम शहद से।
- 2. रसोन क्षीरपाक 5-5 मि.ली. दिन में 3 बार।
- 3. रात में सोते समय- त्र्यान्त्यादि कषाय 1 चम्मच थोड़ा गोघृत मिलाकर।
यह कषाय बहुत अद्भुत है। वाग्भट बताते हैं कि-
‘सघृतो जयेत् विद्रधीगुल्मवीसर्पदाह मोहमदज्वरान्।
तृष्मूर्च्छाच्छर्दिहृद्रोगपित्तासृक्कुष्ठ कामला:।।’अ.हृ.चि. 13/12-13।।
यद्यपि प्रत्येक रोगी में परिणाम का समय अलग-अलग होता है पर वेदान्त में ऐसा चमत्कारिक परिणाम आया कि एक सप्ताह में वेदान्त बैठने लगा। सारी अंग्रेजी दवायें बन्द कर दीं। एक भी दौरे नहीं आये और बच्चा हँसने लगा, खेलने लगा, खाने-पीने लगा। वेदान्त के पिता ने सभी ऐसे बच्चों के आरोग्य लाभ की भावना से अपनी अभिव्यक्ति इस प्रकार की-
दौरे मिटे, मेरे बेटे को डॉक्टरों ने तो कह दिया था कि कुछ नहीं हो सकता!!
मैं प्रियव्रत शुक्ला निवासी बछौन, कॉपरेटिव बैंक कर्मी हूँ, मेरा बेटा वेदान्त शुक्ला जन्म के समय रोया नहीं उसे 15 से 20 दिन के अन्तराल में सोने के 5 या 10 मिनट बाद 3 से 5 सेकेण्ड के लिये झटके आते थे, बचपन से ही चल नहीं पाता था, लेटा रहता था, बोल नहीं पाता था, बायें तरफ का हिस्सा अच्छे से काम नहीं करता, खाना बिल्कुल नहीं खाता था, कुछ पी लेता है।
हमने ग्वालियर के डॉ० अजय गौड़ का इलाज लगभग डेढ़ साल तक किया कोई आराम नहीं, नशे जैसे में रहता था। फिर भोपाल में डॉ० गौरी पंडित को दिखाया उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सकता। अब आप सोचें कि मेरी और मेरी पत्नी की क्या दशा रही होगी। अब हम भोपाल के एम्स हॉस्पिटल में ले गये वहाँ डॉ० ने इपीलेप्सी और सी.पी. (सेरेब्रल पाल्सी) बतायी, दो वर्ष तक इलाज चलाया, कोई आराम नहीं लगा। डॉक्टर ने कहा कि न ये कभी बैठ नहीं सकता, न चल सकता है, तभी हमारी भेंट पन्ना जिले के सिरवरिया गाँव के एक रिश्तेदार से हो गयी उनकी माँ के हार्ट और शुगर का इलाज ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट में हुआ था, उन्होंने कहा कि आप आयुष ग्राम चित्रकूट ले जाइये। पहले हमने सोचा कि आयुर्वेद में? किन्तु जब हम चित्रकूट आयुष ग्राम पहुँचे तो देखा कि यह है आयुर्वेद। इतना बड़ा आयुर्वेद का संस्थान और अनेकों रोगी यहाँ भर्ती होकर नया जीवन पा रहे हैं।
मैं बेटे को लेकर 28 जून 2024 को आयुष ग्राम चित्रकूट आया रजिस्टे्रशन कराया, एक डॉक्टर और नर्स ने केसहिस्ट्री ली फिर मुझे आचार्य डॉ़ मदन गोपाल वाजपेयी जी की ओपीडी में भेजा गया, उन्होंने पुराने इलाज के पर्चे व जाँचें देखीं और बच्चे की नाड़ी पकड़ी और कहा कि परेशान न हों, बच्चा ठीक होगा, बैठेगा, खाएगा, सब करेगा। बस, रहकर चिकित्सा करायें, थैरेपी होगी, दवा करायें। हमने चिकित्सा शुरू करायी। वहाँ अंग्रेजी दवायें बन्द करायीं।
अब तो बच्चे को भूख लगने लगी, बच्चा बैठने लगा, धीरे-धीरे चलने लगा। अब तो मेरा बेटा दौड भी सकता है, बोलता भी है, लेकिन अभी शब्द साफ नहीं निकलते हैं।
अब आप ही बताइये कि ऐसी चिकित्सा सब तक पहुँचनी चाहिए कि नहीं। मुझे पछतावा है कि एलोपैथी के इन अस्पतालों में मैने समय और पैसा बहुत गँवाया। मैं कहता हूँ कि आकर एक बार मेरे बेटे को कोई देखे और समझे।
मैं चाहता हूँ कि मेरी बात सब जगह पहुँचे और मेरे बेटे जैसा किसी का बेटा हो तो अवश्य ‘आयुष ग्राम’ पहुँचे, लाभ होगा, नया जीवन मिलेगा। सरकार को चाहिए कि आयुष ग्राम जैसे आयुष चिकित्सा संस्थान सब जगह खोले ताकि हम जैसे पीड़ित लोग लाभ उठा सकें।
प्रियव्रत शुक्ला,
कॉपरेटिव बैंक कर्मी, निवासी- बछौन, छतरपुर (म०प्र०)
मो० नं०- 7389048768
हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।
सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्
"चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिकाआयुष ग्राम कार्यालय
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग)
चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)
प्रधान सम्पादक
आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी
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