सत्वसार व्यक्ति भी दीर्घायु होता है : आचार्य डॉ. वाजपेयी
आयुष ग्राम (ट्रस्ट), चित्रकूट के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी जी की अध्यक्षता में आज दिनांक 29 दिसंबर 2024 को "100 वर्ष तक स्वस्थ कैसे रहें" विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी आरंभ होने के पूर्व मुख्य अतिथि प्रो. अनूप कुमार गक्खड़, (संहिता एवं सिद्धान्त), ऋषिकुल परिसर आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हरिद्वार तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. सीताराम गुप्ता, चित्रकूटधाम दीप प्रज्वलन तथा भगवान धन्वंतरि माँ सरस्वती की प्रतिमा को माल्यार्पण द्वारा किया गया। इस अवसर पर आयुष ग्राम गुरुकुलम के आचार्यों एवं बटुकों द्वारा वेद मंत्रोच्चारण किया गया।
संगोष्ठी का शुभारंभ श्रीमती गीतांजलि द्वारा स्वागत गीत से हुआ। इसके उपरांत, आयुष ग्राम गुरुकुलम के साहित्याचार्य श्री रंजन प्रसाद शुक्ल ने आयुर्वेद और दीर्घायु होने के मध्य संबंध पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आयुर्वेद आयु का ज्ञान प्राप्त करने का विज्ञान है और आयुर्वेद में बताए गए सिद्धांतों का पालन करके कोई भी व्यक्ति 100 वर्ष तक जीवित रह सकता है। डॉ. आशुतोष त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आयुर्वेद में प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर योग, प्राणायाम, जप, पूजन करते हुए स्वास्थ्यप्रद आहार करते हुए 100 वर्ष तक जीवित रहने विधान बताया गया है। डॉ. वेद प्रताप वाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आयुर्वेद पहले स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा का विधान बताता है उसके बाद यदि कोई व्यक्ति रोगी हो जाता है तो उसके रोग के शमन का विधान बताता है। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार जप, प्राणायाम एवं युक्तिपूर्ण भोजन करने वाला व्यक्ति 100 वर्ष तक जीवित रहता है।
मुख्य अतिथि प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने अपने उद्बोधन में बताया कि कलियुग में मनुष्य की आयु 100 वर्ष मानी गई है तथा आयुर्वेद में 100 वर्ष तक स्वस्थ रहने का विधान बताया गया है। चूंकि आयुर्वेद का प्रमुख उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना है इसलिए आयुर्वेद में रोग उत्पन्न करने वाले कारकों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। रोग उत्पन्न करने वाले कारकों बचाव करके ही 100 वर्ष तक स्वस्थ रहना संभव है। उन्होंने बताया कि रोग उत्पन्न करने वाले कारकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हमारा आहार है। यदि हम अन्न शुद्ध, काल शुद्ध एवं भाव शुद्ध आहार का सेवन करते हैं हम 100 वर्ष तक स्वस्थ रह सकते हैं। अन्न शुद्ध के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि अन्न एक वर्ष और अधिकतम दो वर्ष पुराना होना चाहिए। काल शुद्ध के बारे में उन्होंने कहा कि जो आहार जिस ऋतु में उत्पन्न होता है उसका सेवन उसी ऋतु में करना चाहिए। भाव शुद्ध के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि भोजन शुद्ध एवं पवित्र मन से रुचि पूर्वक बनाना चाहिए और उसे ईमानदारी पूर्वक अर्जित किया होना चाहिए। यदि भोजन क्रोध की स्थिति में बनाया गया है तो भोजन करने वाले व्यक्ति को भी अकारण क्रोध आएगा। यदि भोजन बेईमानी से अर्जित किया गया है तो वह निश्चित रूप से मन को गलत कार्यों की ओर ले जायेगा जो अंततः रोग का कारण बनेगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने सदाचारण पर भी जोर दिया। उन्होंने रोगों का एक अन्य प्रमुख कारण अधारणीय वेगों को रोकना भी बताते हुए कहा कि अधारणीय वेगों को रोकने के कारण ही लंबे समय तक पूजापाठ करने वाले, राजसेवक, व्यापारी और वेश्या ये चार लोग निश्चित रूप से रोगी होते हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए अधारणीय वेगों को रोकना नहीं चाहिए।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आचार्य डॉ. वाजपेयी जी न मुख्य अतिथि के उद्बोधन को ही आगे बढ़ाते हुए कहा कि सत्वसार व्यक्ति भी दीर्घायु होता है। सत्वसार व्यक्ति की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सतोगुण से सम्पन्न व्यक्ति ही सत्वसार होता है। सतोगुण की वृद्धि केवल जप, प्राणायाम, ईश्वर की आराधना, सत्साहित्य का अध्ययन, चिंतन, सत्संग, सद् आचरण से ही होती है। उन्होंने आगे कहा कि हम जिस प्रकार का चिंतन करते हैं, जिस प्रकार का आहार ग्रहण करते हैं, जिस प्रकार का साहित्य पढ़ते हैं, जिस प्रकार के लोगों के बीच में रहते हैं, हमारे भीतर उसी प्रकार के गुण विकसित होने लगते हैं। मुख्य अतिथि द्वारा बताए गए चार रोगियों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि लंबे समय तक पूजन करने वाले व्यक्ति को अपना आहार इस प्रकार सुनियोजित करना चाहिए जिससे पूजन अनुष्ठान के दौरान अधारणीय वेगों की उत्पत्ति न हो। राजसेवक अर्थात सरकारी कर्मचारी के द्वारा अधारणीय वेगों को रोकने का कारण उसका भय होता है। व्यापारी द्वारा अधारणीय वेगों को रोकने का कारण उसका लोभ और वेश्या द्वारा अधारणीय वेगों को रोकने का कारण सौन्दर्य प्रसाधनों का अत्यधिक प्रयोग है।
संगोष्ठी में आयुष ग्राम गुरुकुलम की प्राचार्य सीमा विश्वकर्मा, आचार्य शिव सागर सिंह, आचार्य भानु प्रताप वाजपेयी सहित गुरुकुलम के बटुक, आयुष ग्राम (ट्रस्ट) के प्रबन्धक श्री बाल्मीकि द्विवेदी, कार्यपालन अधिकारी श्री आलोक कुमार सहित आयुष ग्राम (ट्रस्ट) के विभिन्न प्रकल्पों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वेद प्रताप वाजपेयी ने किया तथा डॉ सीताराम गुप्ता ने आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।
सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्
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प्रधान सम्पादक
आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी
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