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जिसे हार्ट सर्जरी बतायी गयी वह महाकुम्भ में 30 कि.मी. पैदल चला!

वैदिक कार्डियोलॉजी की ताकत से !!

जिसे हार्ट की बाईपास सर्जरी या 3 स्टेंट डालने पर जोर दिया गया ऐसा 56 वर्षीय व्यक्ति वैदिक कॉर्डियोलॉजी के केवल 2 सप्ताह ट्रीटमेण्ट से महाकुम्भ जाकर प्रतिदिन 30 कि.मी. पैदल चला वह भी कड़ाके की ठण्ड में।

क्या आपको यह सुनकर हैरानी हो रही है, लेकिन सच है वैदिक कॉर्डियोलॉजी में इतनी नहीं इससे अधिक ताकत है।

क्योंकि वैदिक चिकित्सा आयुर्वेद में चरक, सुश्रुत (धन्वन्तरि), वाग्भट और नागार्जुन द्वारा आविष्कृत चिकित्सा और सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है जो रोग को मिटाते हैं औश्र निर्बलता दूर करते हैं।

पर दुर्भाग्य है कि न तो सरकारी की ओर से ऐसी पद्धति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा और न ऐसा प्रयास कि यह चिकित्सा जन-जन को उपलब्ध हैं। हो जिससे हार्ट रोगी अनावश्यक ऑपरेशन या स्टेंट से बच सकें।

जहाँ आधुनिक चिकित्सा (एलोपैथ) में हृदय रोग के लक्षणों पर फोकस कर स्टेंट और बाईपास सर्जरी पर जोर दिया जाता है वहीं वैदिक चिकित्सा आयुर्वेद में जिन कारणों से यह स्थिति बनी है उन पर ध्यान देकर हृदय को स्वस्थ और मजबूत किया जाता है। जिससे रोगी आराम से ऑपरेशन या स्टेंट से बच जाता है। यदि स्टेंट या ऑपरेशन भी करा चुका है तो भी नया बल मिलने लगता है।

विश्व के महान् वैदिक चिकित्सा वैज्ञानिक आचार्य चरक, सुश्रुत ने स्पष्ट कहा है कि हृदय की सेहत निर्भर है रस धातु, प्राणवहस्रोतस, मनोवहस्रोतस, प्राणवायु, साधक पित्त, अवलम्बक कफ और ओज के संतुलन पर, वहीं एलोपैथ में इन घटकों का न तो कोई स्थान है और न ही उनके संतुलन की चिकित्सा।

परिणामतः हृदय रोगी उधर एलोपैथ दवायें खाता जाता है, उधर शरीर, मन, इन्द्रियों से लगातार कमजोर होता जाता है और स्टेंट आदि के बाद भी प्रायः अटैक से ही मृत्यु देखी जाती है।

'आयुष ग्राम' (न्यास) चित्रकूटधाम में हमने 12 सालों तक इस पर प्रयोगानुसंधान और कार्य किया जिसके बहुत ही उत्साहवर्धक परिणाम आये।। तब हमने इसे अधिकाधिक समाज तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया।

मात्र 2 सप्ताह में ऐसे परिणाम जो कल्पनातीत हैं।

कानपुर देहात (उ.प्र.) सरवन खेड़ा के श्री रामकृष्ण : पुत्र श्री मेवालाल उम्र 56, 25 दिसम्बर 2024 को 'आयुष ग्राम' (हॉस्पिटल) चित्रकूट आये। ओपीडी में (आर.एस. 14/31 पर) पर्चा बना, फिर केसहिस्ट्री : हुयी, उन्होंने बताया कि 1 साल से चलने में सीने में दर्द होता था, इधर 3 माह से तो यह स्थिति हो गयी कि थोड़ा भी चलें तो सीने में दर्द और कमजोरी, नींद न आना, भूख की कमी, विबन्ध: था। 1 साल से अंग्रेजी दवा भी खा रहे हैं।

अब तो डॉक्टर ने कहा है कि या तो बाईपास सर्जरी करायें या 3 स्टेंट डलवायें। लेकिन मैंने कई लोगों को देखा कि जो बाईपास सर्जरी कराये या स्टेंट डलवाये हैं वे भी परेशान से रहते हैं पूर्ण स्वस्थ और उत्साहित नहीं महसूस करते। तब मैं 'आयुष ग्राम' चित्रकूट आ गया। क्योंकि मुझे यहाँ के बारे में पता था।

हमने सारी रिपोर्ट देखीं तो LVEF 55% और 90%, 80% और 95% Stonosis था। वे सात तरह की अंग्रेजी दवा खा रहे थे। जरा विचार • करिए कि आज के 40 साल पहले अगर कोई 1 -2 अंग्रेजी दवायें खाता था तो कहते घुमता था कि ये सेन्थेटिक दवायें कलेजा फूंक दे रही हैं, किन्तु आज मनमानी केमिकली दवायें खिलाई जा रही हैं तो शरीर का क्या हो रहा होगा। हमने उन्हें आश्वासन दिया और आयुर्वेदीय निदान किया तो पाया कि स्वप्रकोपक कारणों, आहार-विहार का व्यतिक्रम— अग्निमांद्य — विष्टब्धाजीर्ण —साम रस धातु की उत्पत्ति —चयापचयन विकृति —ओजक्षीणता —धमनी प्रतिचय/स्रोतोरोध (CAD/Obstruction of arteries/Athrosclorosis) —हृच्छल(Chest Pain) / हृद्रोग।

भगवान् धन्वन्तरि बताते हैं-

दूषयित्वा रसं दोषा विगुणा हृदयं गताः। कुर्वन्ति हृदये बाधां हृद्रोगं तं प्रचक्षते ।।

सु.उ. 43/41।।

हमने कहा कि आप निश्चिन्त रहें न तो स्टेंट डलवाना पड़ेगा और न ही बाईपास सर्जरी करवानी होगी।

आप 2 सप्ताह का समय दें यहाँ आवासीय चिकित्सा में मात्र 2 सप्ताह में आपकी समस्यायें मिटेंगी और आपको नई ऊर्जा, शक्ति, उत्साह मिलेगा।

धीरे-धीरे धमनियों के ब्लॉकज घुल जायेंगे। दरअसल हार्ट का ऐसा नेचर है कि अधिकांश हार्ट स्वतः बाईपास कर लेता है केवल उसको सपोर्ट करने की जरूरत मात्र होती है। हृदय में अन्य छोटी-छोटी जो धमनियाँ, रक्तवाहिकायें/नसें/कोशिकायें भी होती हैं : ये भी अपना काम सम्हालती हैं, आप परेशान न हों।

रामकृष्ण जी अपने सहयोगी के साथ 'आयुष ग्राम' की आवासीय चिकित्सा में 2 सप्ताह के लिए भर्ती हो गये। उनकी चिकित्सा शुरू हो गयी-

पंचकर्म थैरेपी में- हृदय बस्ति, हृदय में तक्र धारा, शिरोधारा, सर्वांग अभ्यंग, सर्वांग स्वेदन, निरूह बस्ति, लेखन बस्ति आदि।

आहार-विहार सादा, सुपाच्य आहार, नित्य ध्यान, योग, जप, प्राणायाम, पूर्ण विश्राम और पूर्ण निद्रा।

औषधियाँ-
  • 1. रसोनक्षीर पाक प्रातः 7 बजे।
  • 2. रत्नाकर रस, विश्वेश्वर रस, कल्याण सुन्दर रस, अभ्रक भस्म शतपुटी, वंगभस्म सभी 1-1 ग्राम वंशलोचन 2 ग्राम, प्रभाकर वटी और हृदयार्णव रस 2-2 ग्राम, अर्जुनधन और पोहकरमूलघन 5-5 ग्राम। सभी मिलाकर 16 मात्रा। 1-1 मात्रा सुबह-शाम।

    हम बताते चलें कि 'रत्नाकर रस' आयुर्वेद विज्ञान ग्रन्थ का ऐसी प्रभावशाली औषध कल्प है कि जब पंचकर्म के साथ इसका प्रयोग होता है तो विश्वास करें कि यह हृदय में नई जान फूंक देता है। हम इसके निर्माण में ताम्र और भावना में शतावरी, विदारीकन्द औत्र ईख के रस की भी दिला देते हैं जो शास्त्र से हटकर है।

  • 3. पिप्पलादि चूर्ण 2-2 ग्राम, कुलत्थ कषाय के अनुपान से भोजन के पूर्व।

    उपर्युक्त चिकित्सा से जहाँ शरीर में जमे मल, विजातीय द्रव्यों का निर्हरण हुआ वहीं रक्तसंचरण क्रिया निर्बाध होने लगी तो उधर हृदय और मस्तिष्क बलाधान होने लगा तो दूसरी ओर धातु परिपोषण क्रम व्यवस्थित होकर 'ओज' का निर्माण होने लगा।

    बस ! क्या है कि हार्ट रोगी एक हफ्ते में कहने लगता है कि नई जान आ गयी।

    हम दावे के साथ कह सकते हैं यह चिकित्सा ऐसे हृदय रोगी तक में नये जीवन का संचार कर देती है जिसे सब तरह से जवाब हो गया हो बशर्ते रोगी की आयु शेष हो।

    हमने 10% LVEF रोगियों तक ऐसी चिकित्सा से सालों जीवित रखा है।

    हृदय रोगी जब अधिक उम्र का हो जाता है या जब बाईपास सर्जरी या स्टेंट डालने में भी जीवन को खतरा होता है तो डॉक्टर जवाब दे देते हैं ऐसे हृदय रोगियों को भी यह चिकित्सा नया जीवन दे देती है।

    पर यह निश्चित है कि वैदिक चिकित्सा (आयुर्वेद) में प्रत्येक रोगी की अलग-अलग औषधि व्यवस्था (देश, काल, दोष, वय आदि को ध्यान में रखकर) चयन करनी होती है पर इतना अवश्य है कि यह चिकित्सा हृदय रोगी को निराश नहीं करती।

    2 सप्ताह बाद 8 जनवरी 2025 को श्री रामकृष्ण जी को डिस्चार्ज कर दिया गया।

    5 फरवरी 2025 को जब श्री रामकृष्ण जी सेकेण्ड 'फॉलो-अप' में 'आयुष ग्राम' चित्रकूट आये तो इतने प्रसन्न थे कि उन्होंने आते ही कहा कि इस चिकित्सा का भरपूर प्रचार होना चाहिए अन्यथा लोग स्टेंट/बाईपास सर्जरी में फंसकर जीवन खो रहे हैं।

    रामकृष्ण जी ने कहा कि जब मैं आयुष आम आया था तो 10 कदम चलना मुश्किल था और यहाँ के इलाज के बाद 24 जनवरी 2025 को मैं

    महाकुम्भ चला गया वहाँ 10 दिन तक रोज 30 कि.मी. पैदल चलता था, चलता तो 40 किलो मीटर रोज था पर 30 से तो कम होता ही नहीं था। वहीं एलोपैथ डॉक्टर कहते थे कि करवट भी लेने में खतरा है।

    हम बताते चलें कि विश्व के महान् प्राच्य चिकित्सा वैज्ञानिक आचार्य चरक कहते हैं-

    हृद्यं यत्स्याद्यदौजस्यं स्त्रोतसां यत्प्रसादनम्। तत्रत् सेव्यं प्रयत्नेन प्रशमोज्ञानमेव च।।

    च.सू. 30/1411

    जो-जो जीवनशैली, खान-पान या औषध (चिकित्सा) हृद्य हो, ओजवर्धक हो, स्रोतस् निर्मलकारक हो, हृदय की स्वस्थता के लिए उनका प्रयत्न पूर्वक सेवन करना चाहिए तथा शांति धारण कर ज्ञान की उपासना करें।

    किन्तु भारत का दुर्भाग्य है कि हृदय रोगियों को ओजवर्धक और पोषण देने वाले पदार्थ गोदुग्ध, गोघृत जैसे जीवनीय पदार्थ देखने तक को आज डॉक्टर मना कर देते हैं।

    ओजवृद्धि, रसदुष्टि निवृत्ति, साधक पित्त, अवलम्बक कफ, प्राणवहस्रोतस्, मनोवहस्रोतस् तथा वायु के संतुलन के बिना हृदय के सेहत की कल्पना तक नहीं की जा सकती।

    इसलिए हृदय के स्वास्थ्य के लिए अपनी वैदिक-चिकित्सा ही अपनाना चाहिए असफलता नहीं मिलेगी।

    वैज्ञानिक भी कहते हैं कि यदि सही से देखभाल-की जाय तो हृदय 300 साल तक स्वस्थ रहता है।

    इसी दिन श्री रामकृष्ण ने आप सबके लिए अपनी अनुभूति इस प्रकार व्यक्त की-
    बाईपास सर्जरी से बचा और कुम्भ में 30 कि.मी. चला!!

    मैं रामकृष्ण उम्म्र 56 वर्ष ग्राम/पोस्ट सरवन खेडा, कानपुर देहात (उ०प्र०) से हूँ। 1 साल पूर्व चलने में और हल्का हल्का सीने में दर्द • होने लगा, दवा करते रहे लेकिन 3 माह पूर्व 10 • कदम चलने पर भी भयंकर सीने में दर्द, चलने में सांस फूलने लगी, भूख बन्द, कब्ज, गैस होने • लगा। तभी हमने कानपुर में कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाया वहाँ पर ईको, TMT, ईसीजी, एंजियोग्रॉफी ये सारी जांचें हुयीं, रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर ने बताया आपको बाईपास सर्जरी कराना होगा या तीन स्टेंट डालना होगा। मैं और मेरे परिवार के सभी लोग बहुत परेशान हो गये। उन्होंने तुरन्त ऑपरेशन के लिए बुलाया।

    हम लखनऊ में दिखाया वहाँ डॉक्टर ने एंजियोग्रॉफी की रिपोर्ट देखकर हाथ जोड़ लिये बोले यह बहुत रिस्क हैं। अब हम 25 दिसम्बर 2024 को आयुष ग्राम चित्रकूट आये रजिस्ट्रेशन कराया केसहिस्ट्री हुयी कुछ जाँचे हुयी जिसमें हीमोग्लोबिन 12.3 सीरम कोलेस्ट्राल 176.2, सीरम ट्राइग्लिसराइड 189.8, VLDL कोलेस्ट्रॉल : 37.96 आया यहाँ पर मशीनरी जाँचें सही तरह से समझाना अधिक होता है। डॉक्टर साहब ने 2 सप्ताह की आवासीय चिकित्सा की सलाह दी बोले आप परेशान न हों आप बिल्कुल ठीक हो जाएंगे। जल्द आराम मिलेगा, मुझे उस समय 10 कदम चलने पर भी भयंकर दर्द था। हमने इलाज शुरू कराया 8 दिन चिकित्सा लेने के बाद मुझे बहुत आराम हो गया था। फिजिकल रिपोर्ट के साथ-साथ पैथोलॉजिकल रिपोर्ट भी अच्छी आयी।

    जिस दिन हम आयुष ग्राम चित्रकूट आये थे तब तीन फ्लोर सीढ़ी चढ़ कर गये तो हम बेहोश हो गये थे और सीने में भयंकर दर्द था 1 सप्ताह तक चिकित्सा मेरे रूम पर ही हुयी। 1 सप्ताह बाद मुझे 50% आराम मिल गया था। अब मैं आयुष ग्राम की तीनो फ्लोर सीढ़ी चढ़ कर जाने लगा कोई समस्या नहीं होती थी। 2 सप्ताह की चिकित्सा लेने के बाद आज मुझे 90% लाभहो गया।

    8 जनवरी 2025 को मैं आयुष ग्राम से डिस्चार्ज होकर 24 जनवरी 2025 को महाकुम्भचला गया। विश्वास करें कि कम से कम 30-40 कि.मी. रोज पैदल चलता था काई समस्या नहीं। 5 फरवरी 2025 को फिर दवा लेने आया हूँ। मैं कहता हूँ कि यदि आप या आपका कोई भी हार्ट -रोग से परेशान है तो आयुष ग्राम जाकर 'वैदिक-कॉर्डियोलॉजी' का 2 सप्ताह इलाज लें आप भी मेरी तरह स्वस्थ होंगे।

    रामकृष्ण,
    सरवन खेडा, कानपुर देहात (उ.प्र.)
    मो० नं0 8127643715
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    हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।

    सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्

    "चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिका

    आयुष ग्राम कार्यालय
    आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
    सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग)
    चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)

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    आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी

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