आपका बच्चा भी झटके/दौरों की बीमारी से ऐसे ही छूटेगा
(सुश्रुत और चरक के चिकित्सा सिद्धान्त)
1 सितम्बर 2024 को कामतन, चित्रकूट के सरकारी हायर सेकेण्डरी स्कूल के शिक्षक श्री धर्मेन्द्र तिवारी अपने 18 माह के बच्चे ‘अभ्यंग तिवारी’ को लेकर आयुष ग्राम चिकित्सालय चित्रकूट में आये, रजिस्ट्रेशन के पश्चात् केसहिस्ट्री में उन्होंने बताया कि-
- पिछले 16 माह से इसे झटके/दौरे आ रहे हैं।
- शुरू में इसे सतना जिला अस्पताल में दिखाया कोई लाभ नहीं।
- प्रयागराज में भर्ती रखा कोई आराम नहीं।
- लखनऊ राम मनोहर लोहिया का 7 माह इलाज चला लेकिन निराशा मिली।
- इसकी माँ का रो-रोकर बुरा हाल था।
- फिर दिल्ली ले गये वहाँ का इलाज चला पर लाभ नहीं।
- डॉक्टर साहब ने कहा कि इस बच्चे को अपने पास रखें कहीं ले जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसकी जिन्दगी अधिक नहीं है।
- तब भी हम सीम्स नागपुर ले गये वहाँ डॉ. नीरज बहेती को दिखाया, 2 माह में भी कोई लाभ नहीं।
- फिर लखनऊ में डॉ.ए.के. गुप्ता का इलाज चलाया, बिल्कुल लाभ नहीं। बच्चा नशीली दवाओं जैसे नशे में रहता, उसका सारा विकास रुक गया और झटकों में तो आराम ही नहीं था।
- लखनऊ में डॉ.ए.के. गुप्ता ने कह दिया कि दुनिया में कहीं ले जाओ पर कुछ नहीं हो सकता। हम परेशान तो थे ही कोई रास्ता ढूँढ रहे थे।
तभी हमारे साथ ही शिक्षक मिश्रा जी ने कहा कि आप दुनिया-दुनिया जा रहे हैं अपने चित्रकूट में ही ‘आयुष ग्राम’ है वहाँ चलिए, मुझे विश्वास है कि आपका बच्चा ठीक होगा, क्योंकि वहीं से मेरे लीवर की समस्या ठीक हुयी। तब हम यहाँ आये।
पूरी बात सुनकर हमने रोग की सम्प्राप्ति विनिश्चय की तो पाया कि कोई बड़ी समस्या ही नहीं है उसे जो झटके/दौरों का रोग है उसे विश्व के महान् शल्य चिकित्सक आचार्य सुश्रुत ने (नि. 1/50-51) ‘आक्षेपक’ रोग तो चरक ने अपतंत्रक (सि. 9.12-15) कहा है।
यदा तु धमनी सर्वा: कुपितोऽभ्येति मारुत:।
तदाऽऽभिपत्याशु मुहुर्मुहुर्देहं मुहुश्चर:।
मुहुर्मुहुश्चाक्षेपणादाक्षेपक इति स्मृत:।।(सु.नि. 1.50-51)
स्व प्रकोप कारण से वायु प्रकोप -ऊपर नीचे एवं तिरछी धमनियों में गमन - हृदय, शिर, शंख प्रदेश का उत्पीडन - आक्षेप - (झटके/दौरे) - मूर्च्छा।
अब आप स्वयं विचार करें कि ऐसी अवस्था में वेल्पारिन Delicious या फेनायटोइन सीरप क्या करेगें और कितना करेंगे सिवाय बच्चे के झटके रोकने और नींद लाने के अलावा। जब तक कि वायु को संतुलित नहीं किया जाएगा।
पर दुर्भाग्य है कि देश के कितने बच्चे सही चिकित्सा के अभाव में ये नशीली दवायें पीते-पीते जीवनभर के लिए मानसिक विकलांग हो रहे हैं जबकि देश के वैदिक एवं विश्व विख्यात शल्य तथा चिकित्सा वैज्ञानिक सुश्रुत चरक इस पर शोध कार्य कर चुके हैं और दुनिया को यह ज्ञान दे चुके हैं। पर सरकार का ऐसा विशेष प्रयास नहीं है कि यह ज्ञान को जन-जन तक पहुँचे।
हमने आश्वासन दिया कि आप परेशान न हों यह बालक अवश्य ठीक होगा और 2-3 माह में। पर दवा 2 साल तक चला देना ताकि मानसिक विकास हो जाय। हमने आयुष ग्राम में 2 सप्ताह शोधन थैरेपी हेतु रखा ताकि वायु का संतुलन हो सके और अभी तक जो विषैली दवायें बालक के शरीर में घुसेड़ी गयी हैं उनकी विषाक्तता दूर हो सके।
चिकित्सा व्यवस्था ऐसी हो जिससे वायु का प्रकोप मिटे, धमनियों में उसका संतुलित अवस्था में गमन हो, हृदय शिर और शंख प्रदेश का उत्पीड़न बन्द हो, बस! जैसे ही सम्प्राप्ति विघटन होगा, दौरे/झटके कम होते-होते मिट जायेंगे।
अब बच्चे को अभ्यंग, स्वेदन और मृदु बस्ति हर दूसरे दिन। शिरोभ्यंग, शिरोविरेचन नस्य दिया जाने लगा।
चिकित्सा व्यवस्था
औषधियों में-
- 1. अपतंत्रक नाशक क्वाथ, (च.सि. 9/98)।
- 2. सौवर्चलादि घृत आधा-आधा चम्मच दिन में 2 बार।
- 3. हेमसुन्दर रस (8672 भा.भै.र.) 3 ग्राम, मुक्ता पिष्टी 2 ग्राम, अकीक पिष्टी 2 ग्राम, हेमवती 3 ग्राम घोंटकर 60 मात्रा। 1-1 मात्रा दिन में 2 बार मधु से।
- 4. रसोनार्क (स्वनिर्मित) 10-10 बूँद दिन में 3 बार।
- 5. शंखपुष्पी तैल का नित्य सर्वांग अभ्यंग।
10 दिन के शोधन कर्म सहित चिकित्सा से अभ्यंग में सकारात्मक परिवर्तन आने लगे। बच्चे के झटके कम होने लगे, बच्चा सक्रिय होने लगा।
- अब 5 दिन बाद हमने वेल्प्रारिन आदि सीरप कम करा दिया। यद्यपि ये अंग्रेजी दवायें तुरन्त कम जी जा सकती थीं, क्योंकि उनका कोई असर तो था नहीं उल्टे बच्चा रोज का रोज मानसिक और शारीरिक रूप से निष्क्रिय होता जा रहा था। किन्तु यह इसलिए नहीं किया कि अभ्यंग (बच्चे) के माता-पिता डरे हुए बहुत थे।
3 माह की चिकित्सा करते-करते बच्चे पूर्ण स्वस्थ हो गया। इस बार बच्चे के पिता धर्मेन्द्र तिवारी जी ने बताया कि एक दिन बच्चा अपने से घर में रखे ‘सोफा’ में चढ़ गया, उस दिन हमें बहुत खुशी भी हुयी और आश्चर्य भी।
विचार करें कि इतनी श्रेष्ठ अपनी वैदिक चिकित्सा, अपने देश की चिकित्सा और हम भटक रहे हैं। हर साल अनेकों ऐसे बच्चों को ‘आयुष ग्राम’ से रोगमुक्त किया जाता है।
आपके बच्चे को हम ठीक करेंगे : वैदिक चिकित्सा से!!
- 1. यदि आपके बच्चे को भी झटके/दौरे आते हैं
- 2. शरीर को धनुष की तरह झुक जाता है
- 3. बेहोश हो जाता है
- 4. सोने में झटके आते हैं
- 5. बुखार के साथ दौरा आता है
- 6. कठिनाई से सांस लेता है
- 7. आँखें पथरा जाती हैं या मुँद जाती हैं
- 8.कबूतर की तरह की आवाज करके बेहोश हो जाता है
- 9. उचित मानसिक या शारीरिक विकास नहीं हो रहा तो परेशान न हों। हम स्वस्थ करेंगे।
हमें 2 सप्ताह ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट में समय दें और कुछ दिन तक घर में चिकित्सा करें आपका बच्चा रोगमुक्त होगा।
हम कभी अखबारी विज्ञापन के पक्ष में नहीं रहे पर लोक कल्याण की भावना से यह आवश्यक हो गया ताकि उन सभी माता-पिता तक बात पहुँचे उन्हें पता चले कि एलोपैथ के अलावा भी कोई अच्छा समाधान है और वे लाभ उठायें।
मेरे बेटे के झटके मिटे नया जीवन मिला ऐसे!!
मैं धर्मेन्द्र तिवारी शिक्षक, कामतन चित्रकूट में शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल में पदस्थ हूँ। निवासी- भौंरी, चित्रकूट से हूँ। मेरा बेटा अभ्यंग तिवारी जिसकी उम्र 18 माह की है उसके ब्रेन में सूजन, हर 2 मिनट में झटके आते, बुखार बना रहता, मुँह से लार गिरती, भोजन नहीं करता, कब्ज आदि की समस्या रहती थी। हमने सतना में जिला अस्पताल में बच्चों के डॉ. सुनील को दिखाया, 1 माह की दवा चली लेकिन कोई आराम नहीं मिला।
उसके बाद हम प्रयागराज में डॉ. दीपक अग्रवाल को दिखाया, वहाँ पर 4 दिन भर्ती रखा लेकिन आराम नहीं लगा, उसके बाद लखनऊ में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉ. ए.के. गुप्ता का करीब 7 माह इलाज चला लेकिन वहाँ भी निराशा लगी। हर जगह से निराशा मिल रही थी, पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल रहता कि बेटा ठीक नहीं हो पायेगा।
अब दिल्ली ले गये वहाँ डॉक्टर को दिखाया डॉक्टर ने जवाब दिया कि अब आप अपने इस बेटे को अपने पास रखे कहीं दिखाने की जरूरत नहीं इसकी जिन्दगी ज्यादा दिन नहीं है। डॉक्टर के ऐसा कहने पर मेरा और मेरी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था, उसके बाद किसी अपने ने बताया कि नागपुर में अच्छा अस्पताल है, उसके बाद हम नागपुर जाकर वहाँ के सीम्स हॉस्पिटल में डॉक्टर नीरज बहेती को दिखाया, 2 माह तक इलाज चला लेकिन आराम नहीं लगा। मेरी की मानसिक स्थिति थी कि न तो सरकारी नौकरी में मन लगता न जीवन जीने में। हमेशा दु:ख रहता था।
फिर लखनऊ के डॉक्टर ए.के. गुप्ता जी ने बताया कि आप दुनियाँ में कहीं भी दिखाओ आराम नहीं लगेगा, उसके बाद सारी उम्मीद खोकर घर आ गये। कुछ दिन बाद हम लोग सबके कहने पर आयुर्वेद में ले गये, हमारे चित्रकूट में ही सूरजकुण्ड रोड में आयुष ग्राम चिकित्सालय है। इतना बड़ा चिकित्सालय और पूरी तरह सुव्यवस्थित तथा अत्यन्त व्यस्त।
हम 1 सितम्बर 2024 को आयुष ग्राम पहुँचे, रजिस्ट्रेशन कराया, केसहिस्ट्री हुयी, जाँच में उक्तवत् समस्या बतायी, उसके बाद डॉक्टर ए.के. गुप्ता द्वारा करायी गयी, एमआरआई दिखाई। इसके बाद आचार्य डॉ. वाजपेयी की ओपीडी में भेजा गया, उन्होंने सब दवायें देखीं, वहीं नशीली दवायें जिनका असर जब तक रहता था तब तक लाभ दिखता अन्यथा फिर झटके। उन्होंने नाड़ी परीक्षण कर चिकित्सा लिखी डॉक्टर साहब ने कहा कि इसे पंचकर्म थैरेपी दी जाएगी, धीरे-धीरे अंग्रेजी दवायें कम करते जायेंगे सब ठीक होगा। चिकित्सा शुरू हो गयी, बच्चे को लेकर रह गये। आज दिनांक- 3 दिसम्बर 2024 को हमारी स्थिति यह है कि 3 माह की चिकित्सा से मेरा बेटा स्वस्थ है, अब 1 बार झटका आता है, भोजन भी करता है, दिनभर रोता रहता था अब नहीं रोता, सिर में एक तरफ सूजन रहती थी अब ठीक है। चलने, उठने का प्रयास करने लगा, चंचल हो गया।
मैं हर जगह से निराश होकर जब मैंने सोचा अब बेटा मेरा नहीं ठीक होगा तब जाकर आयुष ग्राम चिकित्सालय ने आशा की किरण जगायी और मेरा बेटा स्वस्थ हो गया। जब कई जगह से परेशान, पैसे और शारीरिक श्रम के बावजूद कहीं भी आराम नहीं लगा तब आयुष ग्राम से आराम मिला।
वास्तव में हमारे देश की वैदिक चिकित्सा अमृत है और आयुष ग्राम चित्रकूट जैसी संस्थायें मानवता का कल्याण कर रही हैं, यदि आपके बालक को ऐसी समस्यायें हैं तो अवश्य आप आयुष ग्राम पहुँचें और वहाँ के अनुसार चिकित्सा करें आपको भी समाधान मिलेगा।
धर्मेन्द्र तिवारी
भौंरी चित्रकूट
शिक्षक शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल
कामतन चित्रकूट (म.प्र.)
मोबा. नं.- 7007061730
हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।
सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्
"चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिकाआयुष ग्राम कार्यालय
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग)
चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)
प्रधान सम्पादक
आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी
घर बैठे रजिस्टर्ड डाक से पत्रिका प्राप्त करने हेतु। 450/- वार्षिक शुल्क रु. (पंजीकृत डाक खर्च सहित) Mob. NO. 9919527646, 8601209999 चिकित्सा पल्लव के खाता संख्या 380401010034124 IFCE Code: UBIN0559296 शाखा: कर्वी माफी पर भेजें।