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आयुर्वेद के सफल सिद्ध प्रयोग

कफज खाँसी की अचूक दवा

अडूसे की सूखी जड़ २ किलो ग्राम कूटकर उसमें १६ किलो ग्राम पानी में रात में भिगो दें सुबह स्टील की कड़ाई में धीमी आँच में औटायें जब आठवाँ भाग पानी रह जाय तब २ किलो ग्राम चीनी का बूरा डालकर चासनी बना लें। गाढ़ा हो जाने पर नीचे उतारकर पिप्पली का चूर्ण, पिपलामूल और ताजा गोघृत २५०-२५० ग्राम मिलाकर काँच के बर्तन में रख लें। ६ से १२ ग्राम दवा सुबह-दोपहर-शाम सेवन करने से खाँसी, साँस फूलना, रक्तप्रदर, रक्तपित्त, फेफड़ों की कमजोरी मिटती है।

कोरोना काल में आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट से जो नि:शुल्क ऑन लाईन चिकित्सा परामर्श दिया गया उसमें यह योग उन लोगों को खूब बताया गया जिनके कोरोना के कारण फेफड़े कमजोर हो गये थे और उन्हें साँस-खाँसी की शिकायत थी।

दुबलापन मिटाने के लिए

३२० ग्राम नारियल की सूखी गिरि को कद्दू रस में महीन घिस लें। इसे ८० ग्राम गोघृत में भून लें फिर १२८० ग्राम नारियल के पानी या उसके अभाव में गोदुग्ध मिलायें उसमें ३२० ग्राम चीनी का बूरा मिलाकर धीमी आँच में पकायें। जब चाशनी गाढ़ी हो जाये तो सोंठ चूर्ण २५० ग्राम मिला लें फिर उतारकर चीनी रख लें, ठण्डा होने पर काँच के बर्तन में भर लें।

१०-२० ग्राम सुबह-शाम खाली पेट दूध या गरम जल से सेवन करें।

ब्रह्मचर्य पूर्वक इस औषधि का सेवन करने से निद्रा और बल की वृद्धि होती है। अम्लपित्त, परिणामशूल, दुर्बलता और रस, रक्त धातुक्षय का निवारण होता है। शास्त्र में इसे नारिकेल खण्डपाक कहा गया है। पर हमने इसमें सोंठ चूर्ण का अतिरिक्त संयोजन किया है।

शुण्ठी विधार्यादि गुग्गुल लें

सोंठ, छोटी हर्र और विधारा की जड़ का चूर्ण १०-१० ग्राम, शोधित गुग्गुलु ६० ग्राम सभी को मिलाकर थोड़ा एरण्ड तैल का छींटा दे-देकर १२ घण्टा तक कुटाई करें फिर ५००-५०० मि.ग्रा. की गोलियाँ बना लें।

२-२ गोली सुबह-शाम गरम जल या गरम दूध से २ माह तक। यह योग भूख बढ़ाता है, पेट का कब्ज दूर करता है, कमर, पीठ, जंघा दर्द का निवारण करता है। यदि पथ्य पूर्वक सेवन किया जाता है तो शरीर को पुष्ट कर देता है। केला, आम, अचार, दही, कटहल, भिण्डी, बैगन, राजमा, छोले का सेवन नहीं करना चाहिए।

आमवात में
भल्लाततिलपथ्यान्तं चूर्णं गुडसमन्वितम्।
आमवातं कटिशूलं हन्याद्वा गुडनागरम्।।

शुद्ध भल्लातक, काला तिल, छोटी हरड़ का चूर्ण और पुराना गुड़ सभी बराबर-बराबर लेकर अच्छी तरह मिश्रित कर लें। ५-५ ग्राम चूर्ण दिन में २ बार भोजनोत्तर सेवन करने से आमवात और कटिवात मिट जाता है। ऐसे ही गुड़ और सोंठ का सेवन करने से आमवात और कटिवात नष्ट होता है। यह प्रयोग बहुत ही लाभप्रद है।

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हम सारगर्भित विचारों को आयुष ग्राम मासिक और चिकित्सा पल्लव में स्थान देंगे।

सर्व प्रजानां हितकाम्ययेदम्

"चिकित्सा पल्लव" - मासिक पत्रिका
अंक-6, जून -2022

आयुष ग्राम कार्यालय
आयुष ग्राम (ट्रस्ट) परिसर
सूरजकुण्ड रोड (आयुष ग्राम मार्ग)
चित्रकूट धाम 210205(उ०प्र०)

प्रधान सम्पादक

आचार्य डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी

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